अजय पत्रकार |
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स्वैच्छिक दुनिया। बजट में बहुत अच्छे ढंग से सफाई पेश करते हुए बताया गया है। कि प्रति व्यक्ति आय 1 डेसिमल 97 लाख रुपए सालाना दूनी हो गई है ।पहले की अपेक्षा पर कितने पहले की अपेक्षा यह नहीं बताया गया। रक्षा बजट भी 6.2 लाख का करोड़ का किया गया है। जो अच्छी बात है। होना यह चाहिए की रक्षा बजट में अत्याधुनिक शस्त्रों से लैस का बजट की व्यवस्था ज्यादा होनी चाहिए। रक्षा क्षेत्र में दिए गए बजट का 80% तो सैलरी पेंशन वह रोजाना के खर्चे में चला जाता है डेवलपमेंट में तो लगभग 15 परसेंटेज खर्च हो पाता है । आम बजट में ऑब्जेक्टिव दृष्टिकोण नहीं अपनाया गया है ।इस चीज से निपटने के लिए सरकार का दृष्टिकोण साफ नहीं है। लगता है रियर व्यू मिरर से भी सरकार ने बजट को सिर्फ नॉर्थ ब्लॉक में बैठ कर के देख करके बनाया है। भारत के लोग वादे, उम्मीदों ,सहारे में सिर्फ़ जीते हैं ।आम जनता हमेशा की तरह इस बार भी आधी हकीकत व आधा फसाना के उम्मीदों में हमेशा की तरह जियेगी। |
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