डॉ.अर्चना सिंह चौहान |
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पुस्तक समीक्षा
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(बाल साहित्य में एक सार्थक पहल )
वर्तमान समय में बाल साहित्य में प्रेरणादायक काव्य लुप्तप्राय - सा हो गया है , किंतु कानपुर के कवि डॉक्टर अजीत सिंह राठौर जी ने ,"जो हास्य-व्यंग्य के कवि के रूप में जाने जाते हैं" पिछले कुछ वर्षों से बच्चों की मानसिक वृत्ति के अनुरूप कई किताबें लिखी । बाल- सुलभ मनोवृत्ति का आकलन बड़े सहज भाव से किया गया है ।सभी कविताओं में मनोरंजन के साथ कुछ ना कुछ सीख छुपी है। बच्चों की भाषा शैली का प्रयोग होने के कारण सुग्राह्य एवं सरस है ।
"चौके छक्के" नामक पुस्तक में कविताएं एक से एक बढ़कर है। "जली अंगीठी बंद किवाड़े "शीर्षक कविता में उसका उद्देश्य शीर्षक के अनुरूप ही दृष्टिगोचर होता है कि यदि दरवाजे बंद करके अँगीठी जलाकर सो जाएं तो क्या समस्याए हो सकती हैं यथा-
"जली अंगूठी बंद किवाड़े,
चैन से वह सो गया ।
राम कसम फिर बुरा हुआ,
वह सोता ही रह गया ।
उठा ना वह हुआ सवेरा,
ग्वाला आवाज लगाए।
धक्का देकर द्वार को खोला
मुस्सू था आंखे फैलाए।"
रोचकता का विषय यह है कि कविताओं के पात्र बच्चों की मानसिकता के इर्द-गिर्द ही चुने गए जिससे कविता में रोचकता के साथ-साथ सहजता भी विद्यमान है ।"ठंडक हो आई" कविता में सर्दी की बारिश के प्रभाव से आगाह करता हुआ कवि दिखाई दे रहा है-
"बारिश से ठंडक होआई,
देह कपकपी करता भाई।
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भीग गए पानी में यदि तुम,
बस बुखार में तप जाओगे ।
ज्यादा देर न को घूमो बाहर,
छीक -छीक कर थक जाओगे।"
कविता में सरसता एवं सहजता के साथ के साथ-साथ तुकांत भी बड़े प्रभावी बन पड़े हैं जिससे कविता में गेयता का गुण प्रवाहित हो रहा है।" संसद का घेराव" नामक कविता में अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करते हुए बच्चों में राजनीतिक समझ उत्पन्न करती है ।सामाजिक स्तर पर बराबरी का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करती है ।"कड़ाके की ठंड "कविता में सर्दी से होने वाले नुकसान व बचाव के बारे में बच्चे आसानी से सीख सकते हैं ।"चूहा करेगा दैया दैया" कविता मेडिकल से संबंधित जानकारी तो है ही साथ ही प्राथमिक उपचार के साथ आयुर्वेदिक औषधियों का महत्व दर्शाती है ।"पान मसाला पोलियो ड्रॉप "ऐसी ही कविताएं हैं। कविताओं की खास बात यह है कि कविता के आदि से अंत तक रोचकता एवं शब्दों की सार्थकता पाठक को बांधे रहती है। वास्तव में पुस्तक बच्चों के मन की गांठे ही खोलती है ।"बॉडीबिल्डर चूहा" "नोटों के हार" "म्याऊं म्याऊं ऐसी ही कविताएं हैं।" नैनू गुड़ "कविता में फास्ट फूड से होने वाले नुकसान किंतु शाकाहारी बनने के लिए प्रेरित करती है ।"रेलगाड़ी कविता "में सफर का रोमांच के साथ -साथ सफर करते समय किन सावधानियां का ध्यान रखना चाहिए ।बच्चे बड़ी सरलता से सीख सकते हैं ।"दांत पिराया" कोरोना वायरस " "आसमानी- कीमतें" "चौके छक्के "लगभग सभी रचनाएं प्रेरणादायक एवं रोचक है ।भाषा शैली की दृष्टि से भाषा सहज सरल एवं बोधगम्य है ।कविता के भावों के अनुरूप पुस्तक में चित्रों का संयोजन भी किया गया है अतः बच्चे चित्र के माध्यम से भी अपनी कल्पनाओं की उड़ान भर सकते हैं और आसानी से कविता समझ सकते हैं।अंत मे यही कहूंगी कि रचनाकार कवि धर्म निर्वाह करने में सफ़ल रहा जैसे कि मैथिलीशरण गुप्त ने कहा है-
"केवल मनोरंजन ही न कवि का कर्म होना चाहिए।
उसमे उचित उपदेश का भी मर्म होना चाहिए।""
"चौके- छक्के" उपरोक्त भावों को प्रदर्शित कृति है।
समीक्षिका
डॉ.अर्चना सिंह चौहान |
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