बिंदु पांडे |
स्वैच्छिक दुनिया। विद्या भारती उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश एवं गणित विभाग क्राइस्ट चर्च कालेज कानपुर के संयुक्त तत्वावधान में वैदिक गणित विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन आज दिनांक २८ मार्च २०२३, मंगलवार, अपराह्न १ बजे क्राइस्ट चर्च कॉलेज में किया गया । कार्यक्रम में मुख्य रूप से विद्याभारती उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश के क्षेत्र संयोजक प्रो जयशंकर पांडेय, वैदिक गणित विशेषज्ञ प्रोफेसर कैलाश विश्वकर्मा एवं प्रोफेसर अनोखे लाल पाठक द्वारा वैदिक गणित विषय पर व्याख्यान दिए गए ।
हड़प्पा कालीन भवनों में गणितीय ज्यामिति एवं मापन विधियों का प्रयोग किया जाता था। वैदिक काल में शुल्व सूत्र, अथर्ववेद में गणित के सूत्र, शून्य की उत्पत्ति, स्थान मूल्य प्रणाली, दशमलव प्रणाली, स्वतंत्रता आंदोलन में गणितज्ञों वैदिक गणित के प्रणेता जगतगुरु स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ जी महाराज एवं बाल गंगाधर तिलक जी की भूमिका, जैन तीर्थंकरों जैसे महावीराचार्य का गणित में योगदान, 300 वर्ष ईसा पूर्व ऋषि पिंगल द्वारा बायनरी अंको का प्रयोग, आर्यभट्ट द्वारा त्रिकोणमिति एवं पाई का मान ज्ञात करना, ब्रह्मगुप्त द्वारा पेल समीकरण की खोज, श्रीधराचार्य द्वारा द्विघात समीकरण को हल करना, वराहमिहिर द्वारा शून्य का वर्तमान स्वरूप प्रदान करना, भास्कराचार्य द्वारा समाकलन के क्षेत्र में योगदान, केरला स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स के गणितज्ञ माधव द्वारा कैलकुलस में लीब्निज प्रसार एवं ग्रेगरी श्रेणी की खोज, बोधायन द्वारा पाइथागोरस प्रमेय की खोज, वराहमिहिर द्वारा पास्कल त्रिकोण की खोज, रामानुजन का अनंत श्रेणियों के लिए योगदान एवं संख्या सिद्धांत में योगदान, कानपुर में जन्मे प्रोफेसर हरिश्चंद्र द्वारा हार्मोनिक एनालिसिस, रिप्रेजेंटेशन थ्योरी, ली ग्रुप के क्षेत्र में योगदान जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर व्याख्यान दिया गया।
पश्चिम के महान गणितज्ञों न्यूटन, लीब्निज, पास्कल, पेल, पाइथागोरस, फिबोनैकी,हेरीगोन, रोल, ग्रेगरी, फरमैट, यूलर, केप्लर के द्वारा दिए गए गणित के अधिकांशतः सूत्र, सिद्धांत एवं प्रमेय भारतीय गणितज्ञों द्वारा सैकड़ों वर्ष पूर्व ही खोजे जा चुके थे।
आजादी के अमृत काल में भारत के महान गणितज्ञों के कार्यों को सम्पूर्ण विश्व में पहचान एवं सम्मान दिलाना भारत सरकार एवं समस्त भारतवासियों का कर्तव्य है।
इस संगोष्ठी में क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर के प्राचार्य प्रोफेसर जोसफ डेनियल द्वारा अपने उद्बोधन में समस्त वक्ताओं को इस कॉलेज में आकर विद्यार्थियों को इस ज्ञान के इस अनछुए पहलू से अवगत कराने के लिए भूरी भुर्री प्रशंसा करी गयी तथा प्राचीन भारत में वैदिक कालीन गणित की पढ़ाई पर बल दिया गया और भविष्य में ऐसी और अधिक वर्कशॉप करवाने के लिए हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया गया, इस कार्क्रम में गणित के विभागाध्यक्ष डॉक्टर आर के जुनेजा ने कार्यक्रम में लगे समस्त लोगो को धन्यवाद ज्ञापित किया गया । |
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