प्राची श्रीवास्तव उन्नाव |
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यूं तो प्रतिवर्ष केंद्र सरकार व राज्य सरकारें निश्चित समय पर बजट पेश करती हैं। जिसमें देश व समाज के समृद्धि एवं विकास की व्यापक योजनाओं का समावेश होता है। जिसके सुचारु रूप से संचालन हेतु निश्चित वित्त का निर्धारण करती हैं,जो बजट कहलाता है । किन्तु प्रश्न यह है कि क्या इस बजट का लाभ समाज को पूर्णत: प्राप्त होता है? और क्या जनता वास्तव में संतुष्ट हो जाती है? एक अर्थविद की दृष्टि से मेरा मत है, कि जनता पूर्णतः तो शायद ही कभी संतुष्ट हो पाएगी। किन्तु वर्तमान की स्थिति को देखते हुए संतुष्ट होगी, यह भी कहना मुश्किल होगा । फिर असंतुष्टि का कारण भी तो जायज ही है।
हमारा भारत एक विकासशील देश है, जो कि विकसित होने को तत्पर है। यह उचित ही है । जिससे भारत का प्राचीन गौरवशाली इतिहास पुनः प्रदीप्त हो सकेगा ।
किन्तु विकास के सिद्धांत के अनुसार अर्थविदों ने विकास के दो रूप संतुलित व असंतुलित विकास को प्रस्तुत किया है। यदि शोध की दृष्टि से अवलोकन करें तो संतुलित विकास का विकेंद्रीकृत स्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उचित है। किन्तु आज के परिवेश में यदि गहन विश्लेषण करें,तो कहीं न कहीं डिजिटलाइजेशन पर अधिक जोर "सेंट्रलाइजेशन विथ डिसइकवेलेब्रियम"का स्वरूप दृष्टिगत हो रहा है। माना कि वैश्वीकरण के युग में जहां बिटक्वाइन, क्रेप्टोकरेंसी जैसी डिजिटलमनी का प्रारम्भ हो चुका है,तो हमें भी वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा ।
किन्तु शायद हम भूल रहे हैं, कि एक स्वस्थ वृक्ष के लिए सिर्फ पेड़ की पत्तियों को सींचने से वृक्ष हरा भरा नहीं हो सकता। बल्कि वृक्ष की जड़ों को सींचना पड़ता है। तभी वृक्ष का विशाल स्वरूप प्रकट होता । ठीक उसी प्रकार से हमें देश के विकास हेतु" बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर"पर ध्यान देना होगा। ताकि बेरोजगारी रूपी वायसर का अंत हो सके। एवम देश की "जीडीपी व राष्ट्रीय आय "में भी वृद्धि हो सके, तभी हम डिजिटल इंडिया का स्वप्न साकार कर सकेंगे। अतः मानव संसाधन को सक्षम बनाने पर ध्यान देना होगा।
यूं तो हम प्रतिवर्ष जीईआर में वृद्धि होते देख रहे हैं। किन्तु क्या वास्तव में एजुकेशन के अनुपात में वृद्धि के लिए हम क्वांटिटेटिव पर तो फोकस कर रहे हैं।लेकिन कहीं न कहीं क्वालिटेटिव पर फोकस कम हो चुका है। जिसका प्रत्यक्ष स्वरूप बेरोजगारी के रूप में भयावह प्रकट हो चुका है। अतः डिजिटल इंडिया के प्रारूप को पूर्ण करने के लिए" ह्यूमन कैपिटल"के भाग हेल्थ व एजुकेशन पर फोकस करना होगा। तभी हम डिजिटल इंडिया का व्यापक रूप देख पाएंगे। एवम भारतीय अर्थव्यवस्था जिसमें हम वर्तमान में पांचवे व तीसरे स्थान पर हैं। इसे चौथे व दूसरे स्थान में परिवर्तित कर पायेंगे। |
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