प्राची श्रीवास्तव उन्नाव |
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देवों की वाणी है संस्कृत,
वेदों की भाषा है संस्कृत,
रस, छंद, और अलंकार से,
अलंकृत भाषा है संस्कृत।।1।।
भारत भू रत्नाभूषण है संस्कृत,
श्रेष्ठ सुन्दर भाषा है संस्कृत,
सर्वभाषा की जननी है संस्कृत,
देववाणी, वेदवाणी, है संस्कृत।।2।।
संस्कृति की पहचान है संस्कृत,
भारत भू की शान है संस्कृत,
ऋषि मुनि महिमा गाते जिसकी,
वह देववाणी वेदवाणी है संस्कृत।।3।।
गीता,ग्रंथ और पुराणों की भाषा,
वेद,मंत्र, और शास्त्रों की भाषा ,
भाषा की जिससे है परिभाषा,
वह भूमण्डल भाषा है संस्कृत ।।4।।
देवों का वरदान है संस्कृत,
संस्कृति का उत्थान है संस्कृत,
किन्तु आज ये लुप्त हो रही,
अतः करें इसका संरक्षण ।।5।।
देवों की वाणी संस्कृत,
वेदों की भाषा संस्कृत..।।
संस्कृत भाषा संरक्षण हेतु एक पहल ।।
✍️प्राची श्रीवास्तव की कलम से
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