श्याम दुबे |
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स्वैच्छिक दुनिया। संवाददाता श्याम दुबे (कानपुर) । राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक इस मुद्दे पर गंभीर है कि किसी भी हाल में कोई बेजुबान अवैध बलि का बकरा ना बने... और यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद से सभी के सभी अवैध बूचड़खाने बंद कर दिए गए हैं... यानी योगी सरकार मानवता के मंसूबे पर पूरी पक्की है... लेकिन पनकी में योगी के इस मानवता मंसूबे को खुलेआम चुनौती दी जा रही है... सड़कों पर खुलेआम बेजुबान उनको बेदर्दी से मारा जा रहा है... बड़े बड़े अधिकारी जिस सड़क पर रफ्तार भरते हैं... उसी सड़क के किनारे योगी की भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा रही है... यह कितना उचित है? यह प्रश्न मौन होकर भी रो रहा है....
*पनकी में यहां यहां खुले हैं...अवैध कत्लखाने!
सबसे पहले तो रतनपुर के कैंब्रिज चौराहा के बिल्कुल सामने अवैध मीट की दुकान है... यहां और भी गंभीर बात यह है की अवैध मीट की दुकान के बिल्कुल सामने बच्चों का स्कूल बना है... जिसमें कई बच्चे पढ़ने भी आते हैं... अब ऐसे में सोचने योग्य बात है की नन्हे-मुन्ने अबोध बालक और बालिका के सामने जब किसी जिंदा पक्षी के गर्दन पर धारदार हथियार से वार किया जाता होगा तो उस बच्चे पर मानसिक रूप से क्या प्रभाव पड़ता होगा? अभी अवैध मीट की दुकानों की यह शुरुआत मात्र है जब आप कैंब्रिज चौराहे से चंद कदम काशीराम की तरफ चलेंगे तो आपको और भी मीट की अवैध दुकानें मिलनी प्रारंभ हो जाएगी... और जब आप कैंब्रिज चौराहे से गंगागंज की तरफ चलेंगे तो भी आपको केसा चौराहे के पास अवैध कत्लखाने मिल जाएंगे... अभी यह सिलसिला थमा नहीं है... अभी तो पनकी मंदिर चौकी क्षेत्र भी बाकी है... यहां तो मामला रतनपुर से भी गंभीर है... यहां भरी बाजार के एक कोने में बैठ कर अवैध कत्लखाने चलाए जाते हैं... और ऐसा ही मामला पनकी के अंदर का भी है.... जहां गिलोटिन के नीचे उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी की भावनाओं को मारा जा रहा है... और सब के सब उसी तरह मौन है.. जिस तरह बिना हवा के पानी एक जगह मौन होकर ठहर जाता है।
*मीट की दुकान खोलने के यह होते हैं सही नियम*
मीट की दुकान धार्मिक स्थल से 50 मीटर की दूरी पर हो। धार्मिक स्थल के मेनगेट से 100 मीटर की दूरी हो।
2. मीट की दुकान सब्जी या मछली की दुकान के पास नहीं होगी।
3. मीट दुकान के अंदर जानवर या पक्षी नहीं काटे जाएंगे।
4. मीट की दुकानों पर काम करने वालों को सरकारी डॉक्टर से हेल्थ सर्टिफिकेट लेना होगा।
5. मीट की क्वॉलिटी पशु डॉक्टर से प्रमाणित करवानी होगी।
6. शहरी इलाकों में सर्किल ऑफिसर, नगर निगम और फूड सेफ्टी एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन से एनओसी लेनी होगी।
7. ग्रामीण इलाकों में ग्राम पंचायत, सर्किल अफसर और एफएसडीए एनओसी देंगे।
8. मीट दुकानदार बीमार या प्रेगनेंट जानवर नहीं काट सकेंगे।
9. मीट दुकानदार हर छह महीने पर अपनी दुकान की सफेदी करवाएंगे।
10. मीट काटने के चाकू और दूसरे धारदार हथियार स्टील के होंगे।
11. मीट दुकान में कूड़े के निपटारे के लिए समुचित व्यवस्था होगी।
12. बूचडख़ानों से खरीदे गए मीट का पूरा हिसाब-किताब रखना होगा।
13. मीट इंसुलेटेड फ्रीजर वाली गाडिय़ों में ही बूचडख़ानों से ढोया जाए।
14. मीट को जिस फ्रिज में रखा जाएगा उसका दरवाजा पारदर्शी होगा।
15. मीट की दुकान में गीजर जरूरी होगा।
16. दुकान के बाहर पर्दे या गहरे रंग ग्लास लगा हो ताकि किसी को मीट नजर न आए।
क्षेत्र पनकी में इनमें से एक भी नियम का पालन नहीं हो रहा... इसके बावजूद यह दुकान धड़ल्ले से चल रही हैं... जहां पर बकायदा पुलिस दिन-रात गश्त देती है.... लेकिन इसके बावजूद इन अवैध दुकानों पर किसी की नजर नहीं जाती... और नजर जाती भी है... तो अलग विभाग का मामला बताकर बात को टाल दिया जाता है! लेकिन यह प्रश्न कानून के सामने खड़ा होकर बहुत तेज आवाज में चिल्लाता ह... कि कानून के रक्षक के सामने कानून का उल्लंघन होता है... और कानून का रक्षक उस डगर से आंख बंद करके निकल जाए... यह बात कानून के लिए हानिकारक है!
*क्या बोले दुकानदार?*
जब इन मीट की दुकान पर संवाददाताओं द्वारा जानकारी एकत्रित की गई... तो कुछ ऐसे लोगों के नाम भी निकल कर सामने आए.... जिनको हम कानून का रक्षक कहते हैं.... लेकिन इन संदिग्ध नामों को अभी हमारा अखबार इसलिए नहीं छाप रहा है... क्योंकि अभी सूत्रों को हकीकत में बदलना बाकी है... बाकी फिर मिलते हैं... एक नई खबर के साथ, यानी अवैध कत्लखाना। |
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