चुनावी चहल-पहल
      08 May 2023

प्रमिला पांडे
दिन के तीन बज गये ,रसोई में सब्जियाँ कटी पड़ी हैं ।
भोजन बनाने का समय ही कब मिला। दीनानाथ पांडेय की झल्लाहट स्वाभाविक थी। अरे भई, भोजन का क्या हुआ सरिता? पेट में जैसे चूहों ने अखाड़ा बना रक्खा है। बस, बस, अभी लाई, सब्जी कुकर में डालते हुए मैने आटुधना आरम्भ कर दिया था।
काल वेल बजते ही दीनानाथ जी उठकर दरवाजा खोलते ही बोले भई चुनाव प्रचार के लिए इस समय जो चहल, पहल है। उससे तो भूख प्यास कुछ नही लगती। देखिए न अभी तक भोजन नही किया। चुनाव प्रत्याशी लगातार आ रहे हैं। ढोल ढमाका से अजीब सी चहल पहल है। बस दो दिन की बात है बाबू जी, इस बार हमारा ख्याल रखिए हम तो आपके हर सुख -दुख में साथ खड़े होने वाले हैं। जी, जी, हमें आपका चुनाव चिन्ह याद है। दीनानाथ ने हाथ जोड़ते हुए कहा। चुनावी प्रत्याशी ने फिर से पैर छुए और हाथ में एक चित्र के साथ चुनाव चिन्ह का छोटा कागज का टुकड़ा थमा दिया। दीनानाथ की पत्नी ( सरिता )ने आवाज दी, आइये भोजन कीजिए । चुनावी चहल पहल से पेट नही भरने वाला। पेट तो चुनाव जीत कर इन नेताओ का भी नही भरता, इस लिए एक बार जीत जाने पर भी पुनः कुर्सी से चिपके रहना चाहते हैं।

प्रमिला पांडेय
कानपुर
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