सुनील चिंचोलकर |
स्वैक्षिक दुनिया, कानपुर।
बिलासपुर, छत्तीसगढ़। सविता स्मृति स्वरोज फाउंडेशन द्वारा "जीवन की समझ" विषय पर शिक्षकों व पालकों हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन निसर्ग नीड़़, तिफरा बिलासपुर में किया गया। प्रशिक्षक शिक्षाविद शुभद्रा जोगलेकर ने इस अवसर पर कहा कि आज के वक्त हम शिक्षकों पर बच्चों की ज्यादा जिम्मेदारी है क्योंकि माता पिता की अपेक्षाएं बहुत होती हैं। वे अपने बच्चों में कोई कमी नहीं देखना चाहते, वे चाहते हैं कि उनके बच्चे सबसे आगे रहें और हर क्षेत्र में मेरिट में आएं।
शुभद्रा ने कहा कि हमें अपने बच्चों को पढ़ाई और सफलता के साथ समाज के प्रति देश के लिए भी जिम्मेदार और संवेदनशील बनाने की जरूरत है।
इस कार्यशाला में सविता प्रथमेश का उनके जीवनकाल में रिकॉर्ड किया गया जीवन की समझ के वीडियो का प्रसारण भी किया गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि जब मैं शिक्षा की समझ की बात कर रही हूं तो मेरा तात्पर्य किसी विषय विशेष की समझ से कतई ही नहीं है मैं इसे समग्रता में देख रही हूं कि शिक्षा यानी क्या, शिक्षा यानी सीखना, सीखने के लिए क्या आवश्यक है? जीवन में जीने के लिए क्या चीज है तो शिक्षा की समझ से मेरा तात्पर्य है कि हम जीवन को समझें कि हम लोगों को समझें शिक्षा को प्रकृति को समझें संवेदनाओं को समझें और सबसे प्रमुख चीज है मूल्यों को समझें। इसी कड़ी में शहर के जाने माने वक्ता, बुध्दिजीवी व पक्षी विशेषज्ञ विवेक जोगलेकर ने पालकों शिक्षकों से कहा कि हर बच्चा पढ़ना चाहता है सीखना चाहता है यह हमारे ऊपर है कि हम उसे पढ़ाने के तरीके को रुचिकर कैसे बनाएं, शिक्षा को जीवन की आसपास की गतिविधियों से जोड़कर उसे समझाएं। हम बच्चों को यदि पढ़ने बैठने के लिए कहते हैं तो हम भी उसके साथ बैठकर कुछ वक्त अखबार या पुस्तकें जरूर पढ़ें। बच्चे के सामने मोबाइल और टीवी कम से कम देखें। बच्चों का उत्साहवर्धन जरूर करें उन्हें थपथपाकर, गले लगाकर।
कार्यशाला के दूसरे सत्र में पर्यावरणविद बच्चों को जंगल पहाड़ नदी से परिचित कराने वाले अमरकंटक से आए संजय सैलानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें बच्चों को अपने आसपास स्थित प्राकृतिक स्थानों की नियमित सैर करानी चाहिए, बच्चे उन जगहों से नई नई बातें सीखते हैं, उन स्थानों से आने के बाद बच्चों में पढ़ने सीखने का उत्साह बढ़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपने बच्चों की रुचियों के बारे में पता होना चाहिए, बच्चे आजकल सोशल मीडिया में क्या देखते हैं किसे अपना आदर्श मानते हैं हमें भी वह सब जानकारी रखना चाहिए और बच्चों के साथ उनपर बातें करना चाहिए।
इस कार्यक्रम में सविता स्मृति स्वरोज फाउंडेशन की वेबसाइट व यूट्यूब चैनल का भी शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम के अंत में फाउंडेशन की संरक्षक श्रीमती किरण मिश्रा ने प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए। कार्यक्रम का संचालन व आभार फाउंडेशन के निदेशक प्रथमेशसविता ने किया। उन्होंने कहा कि हम इस श्रृंखला में आगामी कार्यशालाएं नियमित करेंगे। उपस्थित शिक्षक पालकों में प्रमुख रूप से विनिता सिंह, वसुंधरा वैष्णव, अराधना चौधरी, मोना कुमारी, ऐश्वर्य लक्ष्मी बाजपेयी, विभा मिश्रा, अलका पांडेय, दिव्या बाजपेयी, महिमा मिश्रा कुमारी सना परवीन, हेमलता साहू, सनोबर खान, आकांक्षा बाजपेयी, भूमिका पांडेय, भुनेश्वर प्रसाद जायसवाल, पंकज कुमार प्रधान, बबलू दुबे, अनीश गुप्ता इत्यादि थे। |
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