डा.पंकज-प्राणेश |
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प्रतिष्ठित कवि व शिक्षक डॉ ज्ञानेन्द्र कुमार मिश्र को इनके उल्लेखनीय साहित्यिक एवं शैक्षणिक योगदान के लिए नवकुम्भ साहित्य संस्थान द्वारा साहित्य श्री सम्मान से सम्मानित किया गया।यह सम्मान डॉ ज्ञानेन्द्र कुमार मिश्र को नवकुम्भ साहित्य संस्थान द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में प्रदान किया गया।डॉ ज्ञानेन्द्र कुमार मिश्र युवाओं के चहेते कवि बन गए हैं।इनकी प्रेम पर लिखी कविताएं युवा मन को झँकझोर देती हैं।नवकुम्भ साहित्य संस्थान हिन्दी भाषा के संरक्षण एवं सम्वर्धन के लिए निरन्तर प्रयत्नशील है।कार्यक्रम की शुरुआत संस्थान के राष्ट्रीय महासचिव श्री अनिल कुमार राही ने सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से किया वहीं इस अवसर पर वाणी वन्दना संस्थान की सदस्या स्वर कोकिला पूनम मणि त्रिपाठी ने व अभिनन्दन गीत सीमा मिश्रा ने प्रस्तुत कर सबको भाव विभोर कर दिया।सञ्चालक महोदय ने कवियों में सर्वप्रथम ज्ञानेन्द्र कुमार मिश्र को काव्यपाठ हेतु मंच पर आमंत्रित किया ,डॉ मिश्र ने '"प्रेम की संहिता का तुम उल्लास हो।दृष्टि की अल्पना का तुम विन्यास हो"।।प्रस्तुत कर श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध कर दिया।डॉ ज्ञानेन्द्र कुमार मिश्र मूलरूप से देवरिया जनपद के बरहज तहसील के अन्तर्गत ग्राम कपरवार के निवासी हैं, वर्तमान में यह बेसिक शिक्षा परिषद जनपद देवरिया के बरहज विकास खण्ड़ के अंर्तगत स्थित प्राथमिक विद्यालय फूलपुर में बतौर प्रधानाध्यापक के पद पर सुशोभित हैं। सम्मान मिलने पर बी ई ओ बरहज पंकज कुमार सिंह प्रधान संघ के अध्यक्ष राजेश मिश्रा, नगरपालिका अध्यक्ष श्वेता जायसवाल ,साहित्य शक्ति संस्थान के संचालन डॉ पंकज शुक्ल, विक्रम प्रताप राव, शिक्षक संघ के अध्यक्ष अशोक सिंह ,संजीव दुबे,निजामुद्दीन अंसारी, दुर्गेश शशिभूषण पाठक, अमृता मिश्रा,विंध्यवासिनी गिरी ने शुभकामना दी। |
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