बिंदु पांडे |
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डॉ० अशोक 'गुलशन' को मिले 594 साहित्यिक सम्मान
बहराइच | जनपद बहराइच एवं श्रावस्ती के सेवानिवृत्त क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ० अशोक कुमार पाण्डेय को उनकी 45 वर्षीय दीर्घकालीन साहित्यिक सेवाओं हेतु 28 देशों की साहित्यिक संस्थाओं से 103, भारत के 17 राज्यों से 183, उ०प्र० के 36 जनपदों से 261 सम्मान, पुरस्कार एवं उपाधियाँ प्रदान की गयी हैं। देश-विदेश की विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं ने संयुक्त रूप से 47 सम्मान/ प्रशस्ति प्रमाण पत्र प्रदान किये हैं। 08 देशों से इन्हें 18 डॉक्टरेट की मानद उपाधियाँ जिनमें पीएच०डी०, डॉक्टर ऑफ़ फिलासफी, ऑनरेरी डॉक्टरेट, डॉक्टर ऑफ़ डिविनिटी और चार देशों से इन्हें डॉक्टर ऑफ़ लिटरेचर (डी0 लिट्0) की मानद उपाधियाँ प्रदान की गयी हैं।
डॉ0 गुलशन को साहित्य लेखन हेतु प्राप्त 09 अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों में इंटरनेशनल डायमंड अवार्ड (नाइजीरिया), महात्मा गाँधी इंटरनेशनल नोबल पीस एवार्ड, डॉ० ए०पी० जे० अब्दुल कलाम इंटरनेशनल एवार्ड (महाराष्ट्र), अंतर्राष्ट्रीय मदर टेरेसा एवार्ड, इंटरनेशनल गोल्डेन एवार्ड (दिल्ली), इंटरनेशनल अचीवर्स एवार्ड (म०प्र०), इंटरनेशनल गोल्ड स्टार एक्सीलेंस एवार्ड, इंटरनेशनल स्टार एक्सीलेंस एवार्ड, नोबल इंटरनेशनल एवार्ड ( राजस्थान) तथा प्राप्त 10 राष्ट्रीय सम्मानों में सुर साधना राष्ट्रीय सम्मान, डॉ० अम्बेडकर फेलोशिप राष्ट्रीय पुरस्कार, राष्ट्रीय हिन्दी सेवी सहस्राब्दी सम्मान (दिल्ली), डॉ0 अम्बेडकर भारत भारती रत्न अलंकार, काव्य विभूति राष्ट्रीय सम्मानोपाधि ( म०प्र०), राष्ट्रीय काव्य कृति सम्मान ( हि0प्र0), राष्ट्रीय साहित्य रत्न सम्मान (पंजाब) काव्य कौस्तुभ राष्ट्रीय सम्मानोपाधि (राजस्थान), राष्ट्रीय रत्न एवार्ड, राष्ट्रीय सम्मान एवार्ड उल्लेखनीय हैं।
इनकी साहित्य की प्रमुख विधाओं में 26 पुस्तकें प्रकाशित हैं तथा राजकीय पुस्तकालयों हेतु उ०प्र० सरकार द्वारा क्रय की जाती हैं। डॉ0 गुलशन की विशेष उपलब्धियों में 56 वर्ल्ड रिकार्ड्स हैं जिनमें विश्व की सबसे लम्बी ग़ज़ल के 10. सबसे बड़ी गजल के 03 यूनिक ग़ज़ल का 01 सबसे छोटी गज़ल के 21, दोहा ग़ज़ल लेखन के 07, मुहावरा गजल लेखन के 05, सबसे बड़ा, लम्बा और अद्वितीय गीत के 02, एक वर्ष में सबसे अधिक सम्मान प्राप्त करने का 02, साहित्य में सर्वाधिक सम्मान प्राप्त करने का 04 रिकार्ड्स हैं तथा देश-विदेश से भारतीय डाक द्वारा प्राप्त 655 नामों से प्रकाशित होने वाले 12634 हिन्दी अख़बारों के संग्रह का रिकार्ड लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज किया गया है।
इनकी गुलशननामा, अर्द्धशतक, मेहनत का फल, मौन वृक्ष, कागज़ के पंख, साँसों की समिधायें, मुक्तकांजलि, तहरीरें, मोहब्बत दर्द है, पानी की दीवार, मेंहदी वाले हाथ, वेदना के छन्द, मैं कभी ऐसा न था, और कुछ भी नहीं, क्या कहूँ, कैसे कहूँ, लफ़्ज़ों का सफ़र, आधी दुनिया आधे लोग, शेष से अशेष तक, ख्वाब के साये, यादों का सैलाब, बन्दिशों के दरमियाँ, मैं वही हूँ, प्यासी साँसें बेजुबान सिसकियाँ, सुहाग का सिन्दूर और काश पुस्तकें प्रकाशित हैं। 11 पुस्तकों के सम्पादन के साथ विदेश तथा भारत के 25 प्रान्तों से प्रकाशित 1206 नामों के समाचार पत्र-पत्रिकाओं, संकलनों में इनकी लगभग चार हजार रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनके द्वारा रचित मौनी चालीसा तथा आरती को पद्मश्री डॉ० सोमा घोष ने स्वर दिया है। इंडोनेशिया, भूटान, थाईलैंड, काठमांडू देशों में आयोजित साहित्यिक समारोहों में इन्होने प्रतिभाग किया है तथा लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इनके साहित्य पर एम0फिल0 हुई है और बुंदेलखंड विश्विद्यालय के पीएचडी की उपाधि हेतु प्रस्तुत शोध प्रबंध में इनकी छोटी बहर की ग़ज़ल सम्मिलित की गयी है।
आकाशवाणी लखनऊ, जन संदेश टी० वी०, पूर्वापोस्ट टी०वी० तथा नेपालगंज के एफएम चैनलों पर अपनी साहित्यिक रचनायें प्रस्तुत करने वाले डॉ० गुलशन की रचनाओं का प्रसारण शायरी फॉर यू एसएमएस गपशप में भी हुआ है। मित्रों और प्रशंसकों के पाँच हजार से अधिक पत्रों के संग्रहकर्ता डॉ० गुलशन ने शताधिक पुस्तकों की समीक्षा लिखी है और 800 से अधिक कवी सम्मेलनों व मुशायरों में प्रतिभाग कर चुके हैं। इन्हें राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान से इक्यावन हजार रु० की सम्मान राशि सहित अमृत लाल नागर पुरस्कार, एक लाख रु० की सम्मान राशि सहित डॉ० हरिवंशराय बच्चन पुरस्कार तथा इंडोनेशिया में एक लाख रु०की सम्मान राशि सहित दुष्यन्त कुमार ग़जल सम्मान से पुरस्कृत व सम्मानित किया गया है। उ०प्र० सरकार द्वारा इन्हें पद्मश्री के लिए भी नामित किया जा चुका है। |
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