गांधी जी और स्वच्छता
      09 October 2023

हंसराज हंस
*गांधी जी और स्वच्छता*

स्वच्छता के मायने कौन नही
समझता है। पर समझने से ही काम नही होने वाला है।हमारे देश में समझदार तो बहुत है। पर वह समझदारी दिखाते नही है।जबकी समझदार होने के साथ साथ उसे समझदारी दिखानी भी चाहिए।जैसे सब जानते हैं बीड़ी, सिगरेट व शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।पर फिर भी पीते है। हेलमेट लगाकर हम सुरक्षित रह सकते है,सब जानते है। पर लगता कोई नहीं है, जो लगाते है उनमें भी ज्यादातर पुलिस के डर से लगाते है।इसी प्रकार स्वच्छता साफ- सफाई को भी सब जानते है।यदि हम इसके बारे में निबंध लिखावाए तो सभी बहुत अच्छा लिख देंगे, वाद- विवाद करवाओ तो बहुत अच्छे-अच्छे तर्क दे देंगे पर स्वच्छता को अपने जीवन में, व्यवहार में अपनाते नही है।इस बात को जानकर ही गांधी जी ने स्वच्छता अभियान पर बल दिया था।
*राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देश के लिए स्वच्छता को स्वतंत्रता से भी ज्यादा जरूरी बताया था*। स्वच्छता से हमारा स्वास्थ्य निरोग रहता है। इसलिए कहा भी गया है कि *स्वच्छ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है*।
हमें व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ-साथ सामाजिक, मानसिक व सार्वजनिक स्वच्छता पर भी ध्यान देना होगा।गांधी जी भी अपना कार्य स्वयं करते थे।साथ ही सबको सलाह भी देते थे कि अपने शौचालय को स्वयं साफ करें। अपने आसपास वातावरण में गंदगी नही होने दे। सभी लोग अपने-अपने घरों के बाहर सफाई रखेंगे,
नालियों में गंदा पानी की जमा नही होने देंगे, तो हम कई तरह की बीमारियों से बचेंगे। इससे बीमारियों पर होने वाले खर्च की बचत से हमारा आर्थिक पक्ष सशक्त होगा। गांधी जी हमेशा कहते थे कि *गंदा पैर लेकर मेरे मन के सामने से कोई नही गुजर सकता*।उनके साबरमती आश्रम की साफ सफाई देखकर बड़े-बड़े सेलिब्रिटी भी दांतों तले उंगली दबा लेते थे। पुरे आश्रम में कही भी आपको कचरे का एक तिनका तो क्या दिख जाए।
सुबह उठते ही रोज वह एक घंटा बाहरी साफ सफाई में लगाते थे। व्यक्ति खुद के शरीर की तो साफ- सफाई कर लेता है।पर हमें हमारे आसपास के परिवेश, मोहल्ले की भी साफ सफाई पर ध्यान देना होगा। हम गंदगी को दूर भगाकर वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण से भी बच सकते है। गंदा जल पीने से पेट की कहीं तरह की बीमारियां होती है। हमारा बहुत सारा पैसा उनके इलाज में खर्च हो जाता है। *गांधी जी ने स्वच्छ भारत का जो सपना देखा था*। उसको आज आजादी के 76 वर्ष बाद भी पुरा नही कर पाए है।हमारे देश में आज भी सरकार को सबसे ज्यादा खर्चा स्वच्छता पर ही करना पड़ रहा है। हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने 2 अक्टूबर 2014 को गांधी जयंती पर पूरे देश में स्वच्छता अभियान चलाकर सन 2019 तक राष्ट्रपिता की 150 वीं जयंती पर स्वच्छता के लक्ष्य को पाने का आह्वान किया था। गांधी जी ने स्वच्छता को अपने आचरण में अपनाने के लिए हर नागरिक को कहा था कि *स्वच्छता को आचरण में अपनाने से ही वह तुम्हारी आदत बनेगी।
उनका कहना तो यहां तक था कि *बच्चों को सबसे पहले अपने अंदर की स्वच्छता के बारे में ही पढ़ाया जाना चाहिए, बाकी बातें इसके बाद होनी चाहिए*। उनका कहना था बचपन में मिले संस्कार ही हमारी आदतें बनती है। और यह अच्छी आदतें जीवन में बहुत काम आती है।
हम नदियों को साफ रखकर ही अपनी सभ्यता और संस्कृति को जिंदा रख सकते है। *इसलिए मोदी सरकार को ओम नमे गंगे अभियान चलना पड़ा।
गांधी जी की एक बात जो वह हमेशा हर व्यक्ति से कहते थे कि *आपका शौचालय ड्राइंग रूम की तरह चमकता हुआ साफ होना चाहिए*।
भारत गांवों का देश है साफ- सफाई रख कर ही हम गांव को आदर्श बना सकते है।
महात्मा गांधी ने जीवन पर्यन्त स्वच्छता पर भाषण ही नही दिया बल्कि स्वयं ने अपने आचरण में अपनाया भी है। वह हमेशा कहते थे कि *सभी को अपना कूड़ा साफ करना चाहिए*। *अपनी गलती को स्वीकारना झाड़ू लगाने के समान है जो सतह को चमकदार व साफ कर देती है* हम स्वच्छता को अपनाकर ही स्वस्थ रह सकते है। इसमें कोई अतिशयोक्ति नही है।
यह छोटी-छोटी बातें हैं पर देश के विकास और एक अच्छा नागरिक बनने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है। *स्वच्छता अपनाओ देश को विकसित बनाओ*।
इस नारे के साथ-साथ हम सबको स्वच्छता को अपने दैनिक जीवन में शूमार करना ही होगा।

हंसराज हंस
टोंक राजस्थान।
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