आकांक्षा अवस्थी |
|
लखनऊ विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के द्वारा दिनांक 20/01/2024 को सैटरडे सेमिनार की विशेष श्रृंखला के अंतर्गत, विभागाध्यक्षा डॉ० रजनी श्रीवास्तव के संरक्षण में एक व्याख्यान का आयोजन किया गया ।इस व्याख्यान में दर्शनशास्त्र विभाग में म्यांमार से आए अंतरराष्ट्रीय शोध छात्र, वेन. सुंदरा ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया ।
उनके द्वारा प्रस्तुत व्याख्यान का विषय "Contemplation of feelings in daily Life" था।अपने व्याख्यान के माध्यम से उन्होंने बुद्ध की शिक्षाओं का पालन करने वाले लोगों के दैनिक जीवन में भावनाओं का चिंतन मुख्य भूमिका निभाता है। यह सार वर्तमान दैनिक जीवन में बुद्ध की शिक्षा के मूलभूत भाग के रूप में भावनाओं का निरीक्षण करने का एक अन्वेषण है। बौद्ध धर्म भावनाओं की प्रकृति को नश्वरता के रूप में बल देता है और इसे सुखद, अप्रिय और तटस्थ भावनाओं में विभाजित करता है। मध्यस्थता अभ्यास के माध्यम से, पर्यवेक्षक इन भावनाओं के बारे में गहरी जागरूकता का प्रबंधन कर सकते हैं, जिससे उन्हें बड़ी भावनात्मक लचीलापन और कल्याण प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।भावनाओं का अवलोकन बौद्ध दर्शन के प्रमुख सिद्धांतों के साथ संतुलित और सामंजस्यपूर्ण जीवन को आगे बढ़ाने में सक्षम हो सकता है। उनका यह पेपर यह पता लगाने के लिए है कि भावनाओं को माइंडफुलनेस अभ्यास के एक उपकरण के रूप में कैसे उपयोग किया जाना चाहिए जो हमें दैनिक जीवन में किसी भी प्रकार की भावनाओं के साथ बिना घबराहट के जीने में सक्षम बनाता है।इस अवसर पर विभाग के शिक्षक गण एवं विभागाध्यक्षा डॉ. रजनी श्रीवास्तव, डॉ. राजेश्वर प्रसाद यादव, डॉ. राजेंद्र कुमार वर्मा, डॉ प्रशान्त शुक्ला एवं पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश चंद्रा उपस्थित रहे।सेमिनार में विभाग के शोध - छात्रों के साथ स्नातक एवं परास्नातक के छात्र उपस्थित रहे। सेमिनार का कोआर्डिनेशन विभाग की शोध छात्रा, मनाल जब्बार ने किया। सेमिनार के सफलता पूर्वक समापन में विभाग के अन्य शोध छात्रों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। |
|
|