“बोलियों का उत्सव , विविधताओं का संस्कार मिलकर मनाएँ , मातृभाषाओं का त्यौहार !!” अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21.02.2024
      22 February 2024

राजीव मिश्रा
क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर के हिंदी विभाग द्वारा दिनांक 21.02.2024 को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का आयोजन बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ पुस्तकालय में किया गया. मातृभाषा दिवस के आयोजन द्वारा भारत की भाषाई विविधता और बोलियों की विस्तृत भूमिका को रेखांकित करते हुए इनका महत्व प्रतिपादित किया गया.

मातृभाषा हर व्यक्ति के हृदय के बहुत निकट होती है क्योंकि वह उसकी प्रथम भाषा होती है. इस भाषा या बोली में अभिव्यक्ति व्यक्ति बहुत सहज और स्वाभाविक रूप में करता है. इन्हीं सहज अभिव्यक्तियों से सजा था ‘मातृभाषा दिवस’ का आयोजन.
यह कार्यक्रम आरम्भ हुआ डॉ. अनिंदिता भट्टाचार्य द्वारा प्रस्तुत बांग्ला कविता ’21 फरवरी’ द्वारा, जिसके माध्यम से उन्होंने मातृभाषा दिवस के बांग्लादेश से आरम्भ होने का इतिहास स्पष्ट किया. इसके पश्चात कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जोसेफ़ डेनियल का औपचारिक स्वागत समस्त हिंदी विभाग की ओर से श्री अवधेश मिश्र ने पुस्तक भेंट करते हुए किया. इसके बाद डॉ. सुजाता चतुर्वेदी ने कार्यक्रम में सभी का स्वागत करते हुए बोलियों की महत्ता और उसमें भी ब्रजभाषा का महत्व बताया. ब्रज-क्षेत्र की होलियों के आनंद को उन्होंने सभी के साथ साझा किया. बी.ए. प्रथम वर्ष की छात्राओं द्वारा मातृभाषा दिवस मनाए जाने के कारणों और इसके इतिहास पर बहुत रोचक ढंग से प्रकाश डाला. बी.ए. तृतीय वर्ष के छात्रों द्वारा सोहर गीत, भांवर गीत और बघेली के लोक-गीतों द्वारा कार्यक्रम को संगीतमय और रागमय बना दिया. इन गीतों में ढोलक और मंजीरे की धुनों ने प्रस्तुतियों को बहुत मोहक बना दिया. छात्रों ने इसके बाद अवधी और उर्दू में कविताएँ/ नज्में पढीं. साथ ही बांग्ला भाषा में भी बी.ए. द्वितीय वर्ष की छात्रा ने काव्य-पाठ कर बांग्ला भाषा की मिठास और मोहकता से सभी को परिचित कराया. कार्यक्रम में हास्य का पुट डालते हुए एम.ए. की छात्राओं द्वारा ‘परपंचु’ की प्रस्तुति की गई. हिंदी विभाग के शोधार्थियों द्वारा रमई काका के प्रहसन ‘बहरे बाबा’ के मंचन को अत्यंत कुशलता से प्रस्तुत किया गया और सभी को पुनः हास्य के रस से ओत-प्रोत कर दिया. बी.ए. के छात्रों ने ‘चैता’, ‘क्षमावाणी’, और ‘बसंत’ पर लोकभाषाओं में कविताओं की प्रस्तुति की.
यही नहीं, हरियाणवी बोली में भी बी.ए. के छात्र ने प्रस्तुति दी और छात्राओं ने डॉ. मीतकमल द्विवेदी के साथ मिलकर पंजाबी ‘गिद्दा’ प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया. कॉलेज के प्राचार्य डॉ. डेनियल ने मलयालम में अपने वक्तव्य का आरम्भ कर छात्रों को यह समझाया कि मातृभाषा हमारे सर्वाधिक निकट रहती है, अतः इसमें अभिव्यक्ति सबसे सहज होती है. इसलिए निरंतर पढ़ने की आदत को जीवित रखना बहुत आवश्यक है. हिंदी विभाग के श्री अरुणेश शुक्ल ने अवधी में अपनी बात रखते हुए अवधी बोली और साहित्य पर प्रकाश डाला. डॉ. डी. सी. श्रीवास्तव ने भी अपने विचार मातृभाषा पर रखते हुए ए.के. रामानुजन के भाषाओं और बोलियों पर किए गए महत्वपूर्ण कार्य को उद्धृत किया. श्री अवधेश मिश्र द्वारा समापन वक्तव्य में बहुत भावपूर्ण भांवर गीत प्रस्तुत किया और बोलियों की अन्तर्निहित सहजता व अभिव्यक्ति की मौलिकता को स्पष्ट किया.
कार्यक्रम का कुशल संचालन हिंदी की शोध-छात्रा गौरांगी मिश्र ने किया. कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागी छात्रों को प्रशस्ति प्रमाण पत्र वितरित किए गए. कार्यक्रम में कॉलेज के विभिन्न विभागों के शिक्षक-गण एवं छात्र उपस्थित थे. डॉ. डी.सी. श्रीवास्तव, डॉ. संजय सक्सेना, डॉ. सत्यप्रकाश सिंह, डॉ. श्वेता चंद, डॉ. मीतकमल, डॉ. ज़ेड. एच. खान, डॉ. मनीष कपूर आदि कार्यक्रम में उपस्थित थे.
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