गुरु अरजन देव जी का शहीदी गुरुपूर्व
      12 June 2024

गुरु तेग बहादुर गुरूद्वारा (चौक गुरूद्वारा) में आज गुरु अरजन देव जी का शहीदी गुरुपूर्व है जो की सिख धर्म के पांचवे गुरु है। गुरु अरजन देव जी के बारे में इसी कथा में ही जो की सुन कर शायद ही कोई आंख नमः न हो जब गुरु अरजन देव जी १८ वर्ष के हुए उन्हें सिखों का पांचवा गुरु बना दिया गया इस बात को सुनकर पृथ्वीचांद को बड़ा झटका लगा क्यूंकि घर के बड़े पुत्र होने के हिसाब से उन्हें गुरूगढ़ी मिलनी चाहिए थी। जहांगीर ने गुरु जी पर बेबुनियाद आरोप लगाए थे और वो किसी भी कीमत पर गुरु जी को मुसलमान बनाना चाहता था उसका मानना था कि अगर गुरु जी मुस्लिम धर्म अपना लेंगे तो उनके लाखो श्रद्धालू भी खुद भ खुद मुस्लिम धर्म अपना लेंगे। जहांगीर ने गुरु जी को चंदू के हवाले कर दिया और चंदू पहले से ही गुरु जी का दुश्मन था गुरु जी को अत्यंत गर्मी के महीने में गरम तवा में बिठा कर उनके शीश पर गरम रेत डाली गई। अगले दिन उबलती देग में बिठा दिया गया इतना सब कुछ सहते हुए गुरु जी शांत होकर प्रभु के ध्यान में बैठे रहे उन्हें भूखा प्यासा रख कर अत्यंत यातनाएं दी गई । उनके शरीर पर ढेरो छाले पड़ गए तो भी उन्होंने बोला तो क्या हुआ अगर तन तप रहा है शरीर वैसे भी नाशवान है तो इसका मोह कैसा केवल आत्मा स्वंतंत्र है और स्वच्छ है मै कष्ट इसीलिए सह रहा हूं ताकि जब भी किसी पर कष्ट आए तो वे हुकुम को सिर झुका कर माने और न की वही गुरु को बुरा भला कहे। चार दिन तक उन्हें ताती तवी पर बैठाया गया और गरम रेत डाला गया और फिर पांचवे दिन उन्हें रवि नदी के पास ले गए ताकि स्नान करने पर उनके छलो में पानी भर जाए और उन्हें और अधिक कष्ट हो, कहते है कि उन्होंने जैसे ही रवि नदी में डुबकी लगाई फिर वह बाहर न आए और वे सदा के लिए आलोप हो गए।
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