वरुण सुल्तानिया |
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कहते हैं भगवान के घर में देर है लेकिन अंधेर नहीं और इसका जीता जागता उदाहरण शनिवार को कानपुर नगर निगम में देखने को मिला जहां अपन नगर आयुक्त प्रथम के पीआरओ पद पर कार्यरत कनिष्ठ लिपिक राजेश यादव को सतर्कता विभाग द्वारा रंगे हाथ ₹10000 की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया गया।
मामले की विस्तार से बात करें तो विभागीय सूत्रों के अनुसार पूर्व में भी उक्त बाबू पर उद्यान विभाग में कार्यरत मालियों से सेवानिवृत्ति के पश्चात प्राप्त होने वाले उपदान का भुगतान कराने के ऐवज में भारी रकम की मांग की गई थी जिसकी शिकायत पर महापौर महोदया द्वारा उक्त लिपिक के विरुद्ध विभागीय जांच अमल में लाने का आदेश दिया गया था परंतु कार्मिक विभाग के उच्चाधिकारियों से उक्त बाबू की अच्छी पैंठ होने के कारण जांच को दबा दिया गया था। इसी क्रम में उक्त बाबू द्वारा अपनी कार्यशैली में सुधार न करते हुए पुनः जोन दो में संविदा चालक के पद पर कार्यरत मो. असलम से पूर्व में विभाग में ही कार्यरत रह चुके उसके पिता मो. इश्तियाक की एसीपी की फाइल स्वीकृत कराने के ऐवज में ₹30000 की मांग की गई थी। मो. असलम द्वारा बताया गया कि इस संबंध में वह राजेश को पूर्व में ही ₹20000 दे चुका था परंतु पिछले तीन वर्ष से वह कार्य कराने तथा अतिरिक्त धन उपलब्ध कराने की बात कह कर टरका रहा था। इससे हताहत होकर उसके द्वारा ये कदम उठाया गया तथा विजिलेंस विभाग में जानकारी देकर उक्त बाबू की वास्तविकता विभाग एवं जनता के सामने लाने का मन बनाया गया। विभाग से ही अतिरिक्त जानकारी प्राप्त होने के क्रम में उक्त बाबू के खाते में 50 - 60 लाख रुपए होने की बात सामने आई है। बताते चलें पूर्व में भी उक्त बाबू राजेश यादव महिला सहकर्मियों से अभद्रता एवं अश्लील हरकतें करने के आरोपों में सवालों के घेरे में रह चुका है। |
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