Rajeev Mishra |
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श्यामार्चना फाउंडेशन(रजि),कानपुर द्वारा दिनांक 24.08.24, दिन शनिवार को संस्थापक डॉ.प्रदीप अवस्थी ने अपने आवास पर पिता जी स्मृतिशेष महेश शंकर अवस्थी जी की पुण्य स्मृति में सम्मान समारोह एवं काव्य संगमन का आयोजन किया। इस अवसर पर दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार श्री शिव स्वरूप अवस्थी जी एवं बंगलौर से पधारी श्रीमती प्रतीक्षा तिवारी जी का बैज, मोती माला,अंग वस्त्र,श्री फल,सम्मान पत्र एवं उपहार भेट कर सम्मान किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमती सुनीता तिवारी जी की सरस्वती वंदना से हुआ।अध्यक्षता नगर की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.प्रमिला पांडेय जी ने तथा शानदार संचालन युवा कवि,पत्रकार एवं समाजसेवी डाॅ.राजीव मिश्र जी ने किया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में मनीष सरल जी ने पढ़ा--
…अश्रुओं से आचमन आंखों का न करना प्रिए तुम
लौटकर आऊंगा मैं फिर से नया परिधान लेकर
कमलेश शुक्ला जी ने पढ़ा--
…जीवन की सुंदर नगरी में सुख दुख की बरसाते हैं
कभी सवेरा कभी सांझ तो कभी घनी सी रातें हैं
शशि शुक्ला जी--
…सजना अब तो वापस आजा घिर आए बदरा
सजना अब तो वापस आजा घबराए जियरा
सुनीता तिवारी जी--
…गर बुजुर्गों की छाया न हो शीश पर धूप जीवन की न झेल पाओगे तुम
प्रतीक्षा तिवारी जी--
…दिन भर मां को गाने वालों
कभी पिता का मन भी पढ़ना
कितना मुश्किल है दुनिया में
जिम्मेदारी के संग बढ़ना
प्रमिला पांडेय जी--
…देख दुनिया अजब कैसा बाजार है
न बिका कोई न ही खरीददार है
अरुण तिवारी जी--
...ज़माने की बला आएगी तो भी मुंह की खाएगी
अभी घर में हमारे हा युगल भगवान बैठे हैं
राजीव मिश्र जी--
…हे पिता तुम्हारे रूप अनेकों
कोन से रूप में तुमको ध्याऊं
डॉ.प्रदीप अवस्थी जी अपने शब्द पुष्पों से अपने पिता को याद करते हुए कहा कि--
…मेरे पापा कहां गए तुम
ये आंखें तुमको ढूंढ रही हैं
सुनकर जिनको बड़ा हुआ हूं
कानों में वे आवाजें गूंज रही हैं
संस्था के अध्यक्ष निरंजन अवस्थी जी एवं सचिव रेखा अवस्थी जी ने सभी का स्वागत किया।
अंत में संरक्षक मनोज अवस्थी जी ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया।इस अवसर पर ममता अवस्थी,सौरभ अवस्थी एवं कार्तिकेय अवस्थी भी उपस्थित रहे। |
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