प्रेम से ही दुनिया चलती है आपको जो प्रिय है बचायें उनके दिल
      19 October 2022

अंशु ( कानपुर)

हर साल 17.3 मिलियन लोगों की जान लेने वाला कार्डियोवैस्कुलर रोग, जिसमें हृदय रोग और स्ट्रोक शामिल है, दुनिया भर में नम्बर 1 हत्यारा है। यह मलेरिया, एच.आई.वी. / एड्स तपेदिक को मिलाकर होने वाली कुल मौतों (3.86 मिलियन मौत हर साल) से ज्यादा जाने लेता है, दरअसल हृदय रोग की जोखिम, यू०एस० और पश्चिमी यूरोप की तुलना में भारतीयों में अधिक है। भारत में भी, कार्डियोवस्कुलर रोग मीत का सबसे बड़ा कारण है. इससे सालाना 1.7 से 2.0 मिलियन मौत का शिकार होते है।

वर्ल्ड हार्ट डे (विश्व हृदय दिवस) पर डा० आर०पी०एस० भारद्वाज ने बताया कि पतली धमनियों के साथ जन्म और कार्डियक रोगों के लिए अनुवांशिक जोखिम के साथ ही अपर्याप्त शारीरिक गतिविधी, अधिक वसा वाले भोजन और फल सब्जियों की लगातार अनदेखी के कारण भारतीयों में हृदय रोगों का जोखिम ज्यादा है। इस अवसर पर आयोजित प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुये डॉ० भारद्वाज ने इस बात पर जोर दिया कि इससे पहले कि बहुत देर हो जाए हमें अपने प्रियजनों के दिल को बचाने के लिए कुछ अच्छे कदम उठाना जरू हैं, खासकर जब रोकथाम आसान हो और इससे कार्डियक जोखिम में काफी कमी आ जाये।

डॉ० भारद्वाज ने इस अवसर पर हृदय रोगों से जुड़े कुछ भ्रम पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि हम लोगों में यह भ्रम है कि कार्डियोवैस्कुलर रोग सिर्फ पुरुषों को प्रभावित करते है, दरअसल 3 में से 1 महिला की मृत्यु हृदय रोग से ही होती है। मेरी ज भारतीय महिलाओं से निवेदन है कि वे अपनी दैनिक दौड़धूप में एक आदर्श पत्नी और माँ भूमिका निभाती हैं वहीं एक पल खुद के लिए निकालकर अपने दिल की सुने। आखि परिवार की सेहत आप पर टिकी है। आपका बराबर स्वस्थ्य रहना जरूरी है ताकि परिवार में अन्य लोगों का ख्याल रख सकें। डॉ० भारद्वाज ने बताया कि न सिर्फ वयस्व बल्कि आज की दुनिया में बच्चों को भी ह्रदय रोग का अधिक जोखिम है, कार्डियोवैस्कुलर रोग पनपने के लिए उम्र या लिंग की कोई सीमा नही है।
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