आज़म की सदस्यता रद्द करना दोहरा मापदंड
      30 October 2022

Ajay patrakar
आजम खान को 9 साल तक चुनाव ना लड़ने की तथा दूसरी ओर लोअर कोर्ट से दोषी करार दिया गया है व उन्हें 2 साल की सजा का भी प्रावधान कोर्ट ने दिया है । हालांकि आजम खां की जमानत हो गई. उत्तर प्रदेश सरकार ने विधान परिषद अध्यक्ष में उनकी सदस्यता विधानसभा के रद्द कर दिया यह कदम कोई बहुत अच्छा कदम नहीं है। झारखंड के मुख्यमंत्री पर भी एक आरोप लगा हुआ है या ऐसा ही मिलता जुलता उदाहरण है उस प्रकरण में झारखंड के राजपाल ने जो केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया और भी कई जगह जहां बीजेपी का राजनैतिक हित लाभ है। वहां उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया ।उत्तर प्रदेश से विधानसभा के सदस्यता रद्द करना वह भी चुने हुए विधायक का बगैर किसी विचार विमर्श व बगैर कारण बताए नोटिस दिए सदस्यता रद्द करके सीट को रिक्त करना। यह कोई बहुत अच्छी नजीर नहीं है और लोकतंत्र में चुने हुए प्रतिनिधि को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इतनी त्वरित प्रक्रिया एकतरफा करना यह बदले की राजनीत है।इससे अल्पसंख्यक समाज को गुमराह करने व हुस्काने में लोगों को मौका मिलेगा। आज़म जी ने भी आंधी बोई थी,अब तूफ़ान काट रहें है।यह भी सत्य है आजमखान ने कई बार बदजुबानी की है। मुस्लिमों के मामले अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में ले जाने का भी दंभ भरते थे आजम खान। देशभक्त मुसलमान जबकि कभी भी ऐसा सोचता भी नहीं है। विधानसभा द्वारा सदस्यता आनन फानन रद्द करना जल्दबाजी का बदले की भावना का व लोकतंत्र का अपमान है। जबकि अभी माननीय अदालत उचित फैसला देगा।
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