कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक और अजय मिश्रा के ख़िलाफ़ FIR दर्ज
      31 October 2022

( स्वैच्छिक दुनिया ) ब्यूरो
कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति और एकेटीयू के पूर्व कुलपति प्रो. विनय पाठक व उनके करीबी एक्सएलआईसीटी कंपनी के मालिक अजय मिश्र के खिलाफ अवैध वसूली और धमकाने का केस दर्ज किया गया है। एसटीएफ अजय मिश्र को गिरफ्तार कर पूछताछ कर रही है। इंस्पेक्टर रामफल के मुताबिक, कई विश्वविद्यालयों में परीक्षा संचालन का जिम्मा संभालने वाली कंपनी डिजीटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्रा.लि. के एमडी डेविड मारियो डेनिस ने इंदिरानगर थाने में केस दर्ज कराया है।



आरोप है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर विवि, आगरा के पूर्व कुलपति प्रो. विनय पाठक (वर्तमान कुलपति कानपुर विवि) पर पुराने बिल का भुगतान कराने के नाम पर रिश्वत मांगी और धमकाया। डेविड का कहना है कि वह पाठक के कहने पर कई बार कमीशन के तौर पर एक करोड़ 41 लाख रुपये अजय को दे चुका है। कानपुर में तैनाती के बाद विनय पाठक ने आगरा यूनिवर्सिटी में काम करने के लिए फिर 10 लाख रुपये देने को कहा, जबकि वहां नई कुलपति आ चुकी हैं। इनकार पर जान से मारने की धमकी दी और काम न मिलने की चेतावनी भी दी। रकम न देने पर काम उन्हें न देकर यूपीडेस्को के जरिये अजय मिश्र की एक कंपनी को दे दिया गया। मामले में प्रो. पाठक से बात करने की कोशिश की गई, पर उनसे संपर्क नहीं हो पाया।


तीन बार में लिए 1.41 करोड़
डेविड ने आरोप लगाया है कि उनकी कंपनी आगरा यूनिवर्सिटी में वर्ष 2014-15 से प्री व पोस्ट परीक्षा का संचालन कर रही है। 2019-20 और 2020-21 में यूपीएलसी के माध्यम से आगरा यूनिवर्सिटी की प्री व पोस्ट परीक्षा संचालित कराई। इसके बिल का भुगतान लंबित था। प्रो. पाठक अब कानपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति हैं। उन्होंने भुगतान के लिए कानपुर स्थित आवास पर बुलाया। वहां जनवरी, अप्रैल 2022 और एक सितंबर, 2022 के बिल का भुगतान करने के एवज में कमीशन की मांग की। फिर एक्सएलआईसीटी कंपनी के मालिक अजय मिश्र के जरिए तीन बार में 1.41 करोड़ बतौर कमीशन लिया।

कानपुर का वीसी बनने के बाद भी मांगा कमीशन
डेविड का आरोप है कि प्रो. पाठक ने आगरा यूनिवर्सिटी में परीक्षा संचालन का काम लेने के लिए 10 लाख रुपये की मांग की। यह कहने पर कि वहां तो अब दूसरी कुलपति हैं। उन्होंने कहा कि अब काम नहीं मिल पाएगा। यह बात सही भी हो गई और यह काम यूपीडेस्को के जरिए अजय मिश्र की कंपनी को दे दिया गया। इसके बाद ही उन्होंने इंदिरानगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। इंस्पेक्टर रामफल का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है।
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