साहित्य संसार एवं समरस साहित्य सृजन संस्थान की नए वर्ष के आगमन के आयोजित हुई काव्य गोष्ठी
      27 December 2022

राजीव मिश्रा संपादक
साहित्य संसार एवं समरस साहित्य सृजन संस्थान की काव्य गोष्ठी दि0 27-12-2022 को नए वर्ष के आगमन के उपलक्ष्य में अध्यक्ष डॉ.कमलेश शुक्ला "कीर्ति" के द्वारा आयोजित की गई।
जिसकी अध्यक्षता अजीत सिंह राठौर "लुल्ल" जी एवं संचालन डॉ. आदित्य कटियार के द्वारा किया गया। गोष्ठी की शुरआत सरस्वती बंदना ललिता दीक्षित ने सुप्त मानव शक्ति में स्फूर्ति का गुण गुनगुना दे।किरण मिश्रा ने "खुशी के फूल जब आंचल में गिरते हैं"।

अर्चना सिंह ने ,"यह जग परिवर्तन का प्याला"आशा निलय ने "साल का आखिरी महीना दिसंबर" ,शारदा प्रसाद ने "भारत माता के पूत अटल",उत्तरा शर्मा (हरियाणा )ने "आओ एक दीपक जलाएं",सुनीता तिवारी ने "जाड़े की भोर भई",प्रीति श्रीवास्तव ने कभी अपने घर बुलाकर के देखो,अखिलेश शुक्ल (गोंडा) ने कैसे जिंदा रहूं तेरे बिन जिंदगी अधूरी है।साधना सचान ने "कठपुतली सी है जिंदगी",ललिता दीक्षित ने "बीत गया यह वर्ष पुराना",मंजू चतुर्वेदी (देहरादून) ने पट बंद न करो मंदिर के,चंद्रभान चंद्र (उन्नाव)ने कामनाओं की पुस्तक समर्पित तुम्हें,प्रमिला पांडेय ने मैं पास हूं तुम्हारे जरा मुड़ के देखिए ।
"विशिष्ट अतिथि" स्वैच्छिक समाचार पत्र के संपादक "डॉ.राजीव मिश्र" ने अपने अलग अंदाज में जान जाओ ,मान जाओ फिर से कोरोना आया। दूसरी रचना मर जाऊंगा तेरी काली काली जुल्फों के वास्ते । डॉ.आदित्य कटियार ने " मुक्तक एवं ग़ज़ल कुछ बहकते हुए लग रहे हो,आदमी तो भले लग रहे हो।
अजीत सिंह राठौर ने टुकड़े- टुकड़े कटती श्रद्धा ,पन्ने पन्ने फटती कविता सुनाकर गोष्ठी को चरमोत्कर्ष तक पहुंचा दिया। अंत में डॉ.कमलेश शुक्ला कीर्ति ने "नए साल का करने अगवानी दिसंबर शान से आया,बर्फ की चादर ओढ़ाने को अपने साथ में लाया"एवं ग़ज़ल "तुमने किया जो प्यार निभाया नहीं गया" सुनाकर सभी का भाव विभोर कर दिया । अन्त में अजीत सिंह राठौर जी ने अध्यक्षीय वक्तव्य दिया । अंत में अध्यक्ष, आयोजक डॉ.कमलेश शुक्ला *कीर्ति" ने सभी का हार्दिक आभार प्रकट कर गोष्ठी का समापन कर दिया।
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