डाॅ0 महेश चन्द्र शुक्ल के द्वारा साहित्य सृजन के छियत्तर वर्ष
      01 January 2023

राजीव मिश्रा संपादक
90 वर्षीय डॉ महेश चन्द्र शुक्ल ने सन 1946 में पहली कहानी लिखी थी। उसके बाद साहित्य सृजन का कार्य निर्वाध गति से आगे ही बढता रहा अब तक महेश जी 30000 तीस हजार से अधिक छन्दों के साथ ही बयालीस ग्रन्थों की रचना कर चुके हैं जिसका विवरण निम्न अनुसार है।
1.छै महाकाव्य ः 1.छन्दरामायण 2.रामचरितमन्दाकिनी सरस रामायण 3.रामकथाअमृत 4. हनुमान रामायण 5. छन्दभागवत महापुराण 6. छन्द गोरखनाथ पुराण
2. आठ खण्ड काव्य ः 1श्री कृष्ण चरित्र 2. सुदामा चरित 3. सत्यप्रतिज्ञ 4.छन्दविवेकचूडामणि 5. छन्द विद्येश्वरसंहिता 6. रुद्र संहिता
7. छन्द गीता 8. संगीतमय भागवत
3. चौदह काव्य संग्रह ः 1. ग्रामीणा 2. देश नहीं अपना बांटो
3. दर्पण 4. अरुणिमा ५. गीत
६. ग़ज़लात ७. महेश दोहावली
८. देशगीत ९. व्यंगवाण १०. आयुर्वेदिक दोहावली ११. विनय की पाती १२. संकटमोचन स्तोत्र
१३. छन्द ईशोपनिषद १४. छन्द
सत्यनारायणवृतकथा
४. चार कहानी संग्रह ः
१. रहीमकाका २. दरार ३. भत्या ४. पक्का कागज
५. बाल साहित्य ः
१. सोनूमोनू बालगीत
२. बाल रामायण बाल महाकाव्य ३. बाल पहेलियाँ ४. राष्ट्रीय बाल पहेलियाँ
अन्य ग्रन्थ ः श्री मद भागवत रहस्य
नाटक ः दलित पुत्र
उपन्यास ः ग्राम सेवक
संस्मरण ः घाटवाले बाबा
जीवनवृत्त ः आप ही बताइए मैं कौन हूँ
आदि चालीस से अधिक ग्रन्थों की रचना की है तथा इनके साहित्य पर अनेक विश्वविद्यालयों में शोधकर्ताओं ने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। आश्चर्य की बात तो यह है कि इन्होंने पछत्तर वर्ष की उम्र में कम्प्यूटर सीखा और अपने सभी ग्रन्थों को डिजिटल कर दिया है।
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