घनाक्षरी
      15 January 2023

डॉ अन्नपूर्णा बाजपेयी आर्या
देश की अखंडता में , प्रकृति की अर्चना में,
मातृ भूमि वंदना में,शीश को झुकाइये।
जोश भरे राष्ट्र ध्वज, माथ धरो भूमि रज,
केसरिया बाना सज, अरि को भगाइये।।
बापू रहे थे महान, सुभाष ने फूँकी जान,
भगत का प्राण दान, कभी न भुलाइये ।
मंगल से क्रांतिवीर ,दिया दुश्मन को चीर,
वीर सपनों का नीर,व्यर्थ न गँवाइये ।।


वीरता से ओत प्रोत, मन में जरा न खोट,
प्रेम की जलाएँ जोत,भारती के लाल हैं।
कदम बढाएँ जब, छातियाँ फुलाएँ सब,
काँपती हवाएँ तब, अरि के वो काल हैं ।।
देव गुणगान करें, राह में हैं फूल झरें,
देश प्रेम उर धरें, राष्ट्र की वो ढाल हैं।।
उर में भरा है जोश, गँवाते न कभी होश।
भर लेते जभी रोष, वारते वो भाल हैं ।।
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