अलंकार साहित्यिक एवं सामाजिक मंच उन्नाव इकाई की मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न
      23 January 2023

रवि शर्मा
22 जनवरी 2023, अलंकार साहित्यिक एवं सामाजिक मंच उन्नाव इकाई के महामन्त्री महेंद्र विश्वकर्मा के संयोजन में संस्था की मासिक काव्य गोष्ठी गोष्ठी संपन्न हुई। जिसमें कि कानपुर एवं शुक्लागंज के ख्याति प्राप्त कवियों ने भाग लिया। उक्त गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि अशोक शास्त्री ने और संचालन अभिषेक अस्थाना ने किया। विश्वकर्मा दम्पति के द्वारा सरस्वती पूजन के उपरांत डाक्टर राजीव मिश्रा ने सुमधुर बाणी वंदना "ये मैया जी तोहे चुनरी चढ़ाइवे, माथे मा टिकुली, गोड़े महावर, हरी लाल चुड़ियन से मैया सजाकर करिया करिया नजर बट्टू टीका लगइवे" से इस गोष्ठी को गति दी! रामेंद्र बाजपेई के काव्य पाठ एवं धीर पाल सिंह धीर की "सृष्टि का उपहार है बेटी, सुखद सरोवर सार है बेटी " शिवांश शुक्ला सरस की " हमारे राज ऐसे खुल रहे हैं, इन्हें ऐसे न खुलना चाहिए था " अभिषेक अस्थाना की शायरी और महेंद् विश्वकर्मा के देशज गीत " रूठे रूठे बलम को मनाऊं नइखे, पास जाऊँ नइखे "रवि शर्मा के " सम्मानों के मानक क्या हैं, सोच रहा था लेटा लेटा, जब मुझको कुछ भी ना सूझा, यारो मै भी कवि बन बैठा " अशोक शास्त्री के "मौन साधो नहीं तुम करो कुछ बहस, याद आते हमें वो निशा वो दिवस, दे रहीं हैं दुआएँ हृदय खोल कर, ये आँगन ये देहरी ये मंगल कलश " जैसी पंक्तियों से संपन्न हुआ! भरी बरसात में गोष्ठी की शोभा बढ़ाने को संस्था के संरक्षक रवि शर्मा ने सभी कवियों का आभार प्रकट किया!
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