आइए हम धरती का कर्ज उतारे
      21 April 2023

बिंदु पांडे
स्वैच्छिक दुनिया। दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज कानपुर द्वारा क्लाइमेट क्लॉक - एनर्जी स्वराज फाउंडेशन , एआईएम,नीति, एआईसीटी एवंसीएसआईआर के सायुंक्त तत्वावधान द्वारा दिये गये १२ मोड्यूल के लक्ष्य को भेद करके प्राप्त करके महाविद्यालय का गौरव बढ़ाया है । कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि वीरेंद्र स्वरूप स्कूल की वरिष्ठ सदस्या श्रीमती अनंता स्वरूप,मुख्य वक्ता प्रो एस के अवस्थी ,प्राचार्या प्रो अर्चना वर्मा एवं कार्यक्रम की समन्वयक प्रो वंदना निगम द्वारा सरस्वती जी में माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन द्वारा किया गया।प्राचार्या द्वारा अतिथियों का स्वागत किया और पृथ्वी को कैसे संरक्षित करेंगे अपना उद्बोधन दिया।

पृथ्वी बहुत व्यापक शब्द है जिसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इससे जु़ड़े अन्य कारक भी हैं। धरती को बचाने का आशय है इसकी रक्षा के लिए पहल करना।
मुख्य वक्ता प्रो एस के अवस्थी जी ने अवगत कराया कि वैसे तो ऐसे कई तरीके हैं जिससे हम अकेले और सामूहिक रूप से धरती को बचाने में योगदान दे सकते हैं। वैसे तो हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके संरक्षण के लिए कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। लेकिन, अपनी व्यस्तता में व्यस्त इंसान यदि विश्व पृथ्वी दिवस के दिन ही थोड़ा बहुत योगदान दे तो धरती के कर्ज को उतारा जा सकता है।
हम लोगों को जलस्रोतों का संरक्षण , कचरे का सही प्रबंधन , बिजली उपकरणों का कम से कम उपयोग , मोटर कारों को पूल करके ,प्लास्टिक का पूर्णतया बहिष्कार करके बायोडिग्रडेबल बैग्स का उपयोग करके जैव कार्बनिक खाद का खेती में उपयोग करके घर मऑफिस स्कूल में सोलर प्लांट्स ज़्यादा से ज़्यादा उपयोग सोलर एनर्जी का ही उपयोग करना होगा करके वास्तविक रूप से इन्हें शामिल करना होगा अन्यथा पृथ्वी हम सबके रहने योग्य नहीं बचेगी और इसके ज़िम्मेदार हम सभी है आगे आने वाली पीढ़ी को हम विरासत में पूरी धरा का विनाश करके दे जायेंगे।
संगोष्ठी का संचालन प्रो उपासना वर्मा धन्यवाद ज्ञापन प्रो वंदना निगम द्वारा किया गया । क्लाइमेट क्लॉक डॉ नवीन गुप्ताएवं डॉ संचिता दास के अथक परिश्रम द्वारा प्राप्त की गई इस क्लाइमेट क्लॉक में ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते हुए स्तर को रोकने के लिए हमारे पास कितना समय बच है की जानकारी प्राप्त होगी
संगोष्ठी को सफल बनाने हेतु महाविद्यालय की सभी प्रवक्ताओं का विशेष सहयोग रहा।
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