आदि पुरुष
      30 June 2023

डॉ सुषमा सेंगर
#आदि#आदिपुरुष
लेखक व् निर्देशक की क्या सोच थी यही समझ में नहीं आया !
हमें खाना शुद्ध चाहिए , पानी शुद्ध चाहिए , हवा शुद्ध चाहिए , घर शुद्ध चाहिए , डीजल-पेट्रोल शुद्ध चाहिए सभी कुछ शुद्ध चाहिए ! तो फिर भाषा शुद्ध क्यों नहीं चाहिए बे ?
मेरे मुंह से बे सुनकर बुरा लगा ना ! क्योकि मै हमेशा मर्यादित भाषा लिखती हूँ |और जिनका नाम ही मर्यादा पुरुषोत्तम हो ,उनके समय में भाषा अशुद्ध कैसे हो सकती है ?
चलो भाषा को छोड़ दिया ,कहानी में कनेक्शन तो रखो !
लक्ष्मण ने जाते समय कुटी के चारो तरफ एक रेखा खींची थी यहाँ पहले ही रेखा खींच देते हैं और स्वयं लक्ष्मण भी उसी रेखा के अंदर है , बाद में सीता के कहने के बाद बाहर निकल कर जाते हैं !
सोने की लंका काली कैसे दिख रही ? कहीं भी कोई भी अपने आप कुछ भी ढूंढ ले रहा है ,आधी बातें एक्टिंग हो रही हैं आधी दर्शक कोखुद समझना है |
रावण अपने ज़माने का सबसे वीर पुरुष था ,जो कुबेर से पुष्पक विमान छीन के लाया था ! उसको चमगादड़ पर बैठा कर घुमा रहे हो ?वो चमगादड़ से सीता को लेकर भाग रहा है राघव और शेष पीछे से दौड़ रहे हैं पर पकड़ नहीं पा रहे हैं ?यदि रावण को ले जाते हुए राम जी ने देख लिया होता तो क्या मार्ग न रोकते ?
शबरी की कुटिया में राम गए थे सबको पता है , फिर आपकी कहानी में हाथ में पत्ते के ऊपर बेर लेकर शबरी जंगल
में खुद हाज़िर हो जाती है .बेर खिलाती है और राघव पहले से जो आग जलाये रहते हैं उसी में जलकर अप्सरा बन जाती है ! मललब एकदम बकवास |
इसी तरह बालि और सुग्रीव लड़ रहे हैं इसी बीच बड़ा पहाड़ गिरने लगता है और सुग्रीव पकड़ कर खड़े हो जाते हैं और तब तक खड़े रहते हैं जबकि सारे बंदर भाग नहीं जाते ! इसी बीच राघव बालि का वध भी कर देते हैं और वो बिना कुछ कहे मर जाता है ! मैं बैरी सुग्रीव पियारा ! कारन कवन नाथ मोहि मारा !! गायब
रावण राजा होकर लोहार की तरह लोहा गर्म करके हथौड़ी से पीटकर तलवार बना रहा है !
बजरंग सीता की खोज में जाते है तो बिना किसी अवरोध के सीधे लंका पहुँच जाते हैं
हनुमान जी के समुद्र में प्रवेश करते ही ,1-सुरसा नाम अहिन कै माता !2-आगे जाय लंकिनी रोका !3-जब रावनहि ब्रह्न वर दीना ये बहुत बड़े अवरोध थे ! रावण का एकक्षत्र राज्य था , उसमे ऐसे ही कोई कैसे पहुंच गया ?अशोक वाटिका में सीता जी के सामने खड़े हो जाते हैं और अंगूठी दे देते है ! बिना कोई नुकसान हुए ही वहीँ सीता जी के समक्ष. ही बिना बजरंग के फल तोड़े ही धाकड़ासुर (अक्षय कुमार ) पहुंच जाते है और हनुमान जी उन्हें मार डालते हैं और उसी के पीछे इंद्रजीत आ जाते हैं और रावण की लंका में हनुमान जी को पिंजरे में बांधकर ले जाते हैं !
केवल नल- नील ही नहीं कोई भी बानर पत्थर समुद्र में डाल रहा है और वो तैर रहा है , समुद्र ने भी नहीं बताया की नल-नील में कोई विशेषता है |
ऐसे ही बिना किसी भूमिका के विभीषण जी अपनी पत्नी सहित राम से मिलने पहुंच जाते हैं ! साथ में राम का भेद लेने आये हुए शुक को राम खुद ही पहचान लेते हैं और अंगद उसको बांधकर ले जाता है रावण के सामने पटक कर चला आता है !
दूर की लोगो के बजाये हुए बाजे की आवाज सुनकर कुम्भकर्ण जग जाते हैं !
विभीषण की पत्नी सुषेण वैद्य की जगह डॉ बन जाती है | बिना विभीषण के बताये ही राम को रावण की नाभि का अमृत पता चल जाता है रावण के मरते ही सीता जी खुद ही राम के पास आकर अलिंगनवद्ध हो जाती हैं ! राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे ! उनके ज़माने में इतनी अमर्यादा चलती ही नहीं थी ! तो फिर आदिपुरुष अमर्यादित कैसे हो गए !
सुपुत्र Ratnesh Singh पूछ रहे थे की अक्षय का अर्थ धाकड़ासुर कब से होने लगा. और लक्ष्मण शेष हो गए !
इस मूवी में कुछ भी विशेष है ही नहीं सारी असलियत ही शेष है !!!!!
डॉ सुषमा सेंगर
लेखक व् निर्देशक की क्या सोच थी यही समझ में नहीं आया !
हमें खाना शुद्ध चाहिए , पानी शुद्ध चाहिए , हवा शुद्ध चाहिए , घर शुद्ध चाहिए , डीजल-पेट्रोल शुद्ध चाहिए सभी कुछ शुद्ध चाहिए ! तो फिर भाषा शुद्ध क्यों नहीं चाहिए बे ?
मेरे मुंह से बे सुनकर बुरा लगा ना ! क्योकि मै हमेशा मर्यादित भाषा लिखती हूँ |और जिनका नाम ही मर्यादा पुरुषोत्तम हो ,उनके समय में भाषा अशुद्ध कैसे हो सकती है ?
चलो भाषा को छोड़ दिया ,कहानी में कनेक्शन तो रखो !
लक्ष्मण ने जाते समय कुटी के चारो तरफ एक रेखा खींची थी यहाँ पहले ही रेखा खींच देते हैं और स्वयं लक्ष्मण भी उसी रेखा के अंदर है , बाद में सीता के कहने के बाद बाहर निकल कर जाते हैं !
सोने की लंका काली कैसे दिख रही ? कहीं भी कोई भी अपने आप कुछ भी ढूंढ ले रहा है ,आधी बातें एक्टिंग हो रही हैं आधी दर्शक कोखुद समझना है |
रावण अपने ज़माने का सबसे वीर पुरुष था ,जो कुबेर से पुष्पक विमान छीन के लाया था ! उसको चमगादड़ पर बैठा कर घुमा रहे हो ?वो चमगादड़ से सीता को लेकर भाग रहा है राघव और शेष पीछे से दौड़ रहे हैं पर पकड़ नहीं पा रहे हैं ?यदि रावण को ले जाते हुए राम जी ने देख लिया होता तो क्या मार्ग न रोकते ?
शबरी की कुटिया में राम गए थे सबको पता है , फिर आपकी कहानी में हाथ में पत्ते के ऊपर बेर लेकर शबरी जंगल
में खुद हाज़िर हो जाती है .बेर खिलाती है और राघव पहले से जो आग जलाये रहते हैं उसी में जलकर अप्सरा बन जाती है ! मललब एकदम बकवास |
इसी तरह बालि और सुग्रीव लड़ रहे हैं इसी बीच बड़ा पहाड़ गिरने लगता है और सुग्रीव पकड़ कर खड़े हो जाते हैं और तब तक खड़े रहते हैं जबकि सारे बंदर भाग नहीं जाते ! इसी बीच राघव बालि का वध भी कर देते हैं और वो बिना कुछ कहे मर जाता है ! मैं बैरी सुग्रीव पियारा ! कारन कवन नाथ मोहि मारा !! गायब
रावण राजा होकर लोहार की तरह लोहा गर्म करके हथौड़ी से पीटकर तलवार बना रहा है !
बजरंग सीता की खोज में जाते है तो बिना किसी अवरोध के सीधे लंका पहुँच जाते हैं
हनुमान जी के समुद्र में प्रवेश करते ही ,1-सुरसा नाम अहिन कै माता !2-आगे जाय लंकिनी रोका !3-जब रावनहि ब्रह्न वर दीना ये बहुत बड़े अवरोध थे ! रावण का एकक्षत्र राज्य था , उसमे ऐसे ही कोई कैसे पहुंच गया ?अशोक वाटिका में सीता जी के सामने खड़े हो जाते हैं और अंगूठी दे देते है ! बिना कोई नुकसान हुए ही वहीँ सीता जी के समक्ष. ही बिना बजरंग के फल तोड़े ही धाकड़ासुर (अक्षय कुमार ) पहुंच जाते है और हनुमान जी उन्हें मार डालते हैं और उसी के पीछे इंद्रजीत आ जाते हैं और रावण की लंका में हनुमान जी को पिंजरे में बांधकर ले जाते हैं !
केवल नल- नील ही नहीं कोई भी बानर पत्थर समुद्र में डाल रहा है और वो तैर रहा है , समुद्र ने भी नहीं बताया की नल-नील में कोई विशेषता है |
ऐसे ही बिना किसी भूमिका के विभीषण जी अपनी पत्नी सहित राम से मिलने पहुंच जाते हैं ! साथ में राम का भेद लेने आये हुए शुक को राम खुद ही पहचान लेते हैं और अंगद उसको बांधकर ले जाता है रावण के सामने पटक कर चला आता है !
दूर की लोगो के बजाये हुए बाजे की आवाज सुनकर कुम्भकर्ण जग जाते हैं !
विभीषण की पत्नी सुषेण वैद्य की जगह डॉ बन जाती है | बिना विभीषण के बताये ही राम को रावण की नाभि का अमृत पता चल जाता है रावण के मरते ही सीता जी खुद ही राम के पास आकर अलिंगनवद्ध हो जाती हैं ! राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे ! उनके ज़माने में इतनी अमर्यादा चलती ही नहीं थी ! तो फिर आदिपुरुष अमर्यादित कैसे हो गए !
सुपुत्र Ratnesh Singh पूछ रहे थे की अक्षय का अर्थ धाकड़ासुर कब से होने लगा. और लक्ष्मण शेष हो गए !
इस मूवी में कुछ भी विशेष है ही नहीं सारी असलियत ही शेष है !!!!!
डॉ सुषमा सेंगर
लेखक व् निर्देशक की क्या सोच थी यही समझ में नहीं आया !
हमें खाना शुद्ध चाहिए , पानी शुद्ध चाहिए , हवा शुद्ध चाहिए , घर शुद्ध चाहिए , डीजल-पेट्रोल शुद्ध चाहिए सभी कुछ शुद्ध चाहिए ! तो फिर भाषा शुद्ध क्यों नहीं चाहिए बे ?
मेरे मुंह से बे सुनकर बुरा लगा ना ! क्योकि मै हमेशा मर्यादित भाषा लिखती हूँ |और जिनका नाम ही मर्यादा पुरुषोत्तम हो ,उनके समय में भाषा अशुद्ध कैसे हो सकती है ?
चलो भाषा को छोड़ दिया ,कहानी में कनेक्शन तो रखो !
लक्ष्मण ने जाते समय कुटी के चारो तरफ एक रेखा खींची थी यहाँ पहले ही रेखा खींच देते हैं और स्वयं लक्ष्मण भी उसी रेखा के अंदर है , बाद में सीता के कहने के बाद बाहर निकल कर जाते हैं !
सोने की लंका काली कैसे दिख रही ? कहीं भी कोई भी अपने आप कुछ भी ढूंढ ले रहा है ,आधी बातें एक्टिंग हो रही हैं आधी दर्शक कोखुद समझना है |
रावण अपने ज़माने का सबसे वीर पुरुष था ,जो कुबेर से पुष्पक विमान छीन के लाया था ! उसको चमगादड़ पर बैठा कर घुमा रहे हो ?वो चमगादड़ से सीता को लेकर भाग रहा है राघव और शेष पीछे से दौड़ रहे हैं पर पकड़ नहीं पा रहे हैं ?यदि रावण को ले जाते हुए राम जी ने देख लिया होता तो क्या मार्ग न रोकते ?
शबरी की कुटिया में राम गए थे सबको पता है , फिर आपकी कहानी में हाथ में पत्ते के ऊपर बेर लेकर शबरी जंगल
में खुद हाज़िर हो जाती है .बेर खिलाती है और राघव पहले से जो आग जलाये रहते हैं उसी में जलकर अप्सरा बन जाती है ! मललब एकदम बकवास |
इसी तरह बालि और सुग्रीव लड़ रहे हैं इसी बीच बड़ा पहाड़ गिरने लगता है और सुग्रीव पकड़ कर खड़े हो जाते हैं और तब तक खड़े रहते हैं जबकि सारे बंदर भाग नहीं जाते ! इसी बीच राघव बालि का वध भी कर देते हैं और वो बिना कुछ कहे मर जाता है ! मैं बैरी सुग्रीव पियारा ! कारन कवन नाथ मोहि मारा !! गायब
रावण राजा होकर लोहार की तरह लोहा गर्म करके हथौड़ी से पीटकर तलवार बना रहा है !
बजरंग सीता की खोज में जाते है तो बिना किसी अवरोध के सीधे लंका पहुँच जाते हैं
हनुमान जी के समुद्र में प्रवेश करते ही ,1-सुरसा नाम अहिन कै माता !2-आगे जाय लंकिनी रोका !3-जब रावनहि ब्रह्न वर दीना ये बहुत बड़े अवरोध थे ! रावण का एकक्षत्र राज्य था , उसमे ऐसे ही कोई कैसे पहुंच गया ?अशोक वाटिका में सीता जी के सामने खड़े हो जाते हैं और अंगूठी दे देते है ! बिना कोई नुकसान हुए ही वहीँ सीता जी के समक्ष. ही बिना बजरंग के फल तोड़े ही धाकड़ासुर (अक्षय कुमार ) पहुंच जाते है और हनुमान जी उन्हें मार डालते हैं और उसी के पीछे इंद्रजीत आ जाते हैं और रावण की लंका में हनुमान जी को पिंजरे में बांधकर ले जाते हैं !
केवल नल- नील ही नहीं कोई भी बानर पत्थर समुद्र में डाल रहा है और वो तैर रहा है , समुद्र ने भी नहीं बताया की नल-नील में कोई विशेषता है |
ऐसे ही बिना किसी भूमिका के विभीषण जी अपनी पत्नी सहित राम से मिलने पहुंच जाते हैं ! साथ में राम का भेद लेने आये हुए शुक को राम खुद ही पहचान लेते हैं और अंगद उसको बांधकर ले जाता है रावण के सामने पटक कर चला आता है !
दूर की लोगो के बजाये हुए बाजे की आवाज सुनकर कुम्भकर्ण जग जाते हैं !
विभीषण की पत्नी सुषेण वैद्य की जगह डॉ बन जाती है | बिना विभीषण के बताये ही राम को रावण की नाभि का अमृत पता चल जाता है रावण के मरते ही सीता जी खुद ही राम के पास आकर अलिंगनवद्ध हो जाती हैं ! राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे ! उनके ज़माने में इतनी अमर्यादा चलती ही नहीं थी ! तो फिर आदिपुरुष अमर्यादित कैसे हो गए !
सुपुत्र Ratnesh Singh पूछ रहे थे की अक्षय का अर्थ धाकड़ासुर कब से होने लगा. और लक्ष्मण शेष हो गए !
इस मूवी में कुछ भी विशेष है ही नहीं सारी असलियत ही शेष है !!!!!
डॉ सुषमा सेंगर
लेखक व् निर्देशक की क्या सोच थी यही समझ में नहीं आया !
हमें खाना शुद्ध चाहिए , पानी शुद्ध चाहिए , हवा शुद्ध चाहिए , घर शुद्ध चाहिए , डीजल-पेट्रोल शुद्ध चाहिए सभी कुछ शुद्ध चाहिए ! तो फिर भाषा शुद्ध क्यों नहीं चाहिए बे ?
मेरे मुंह से बे सुनकर बुरा लगा ना ! क्योकि मै हमेशा मर्यादित भाषा लिखती हूँ |और जिनका नाम ही मर्यादा पुरुषोत्तम हो ,उनके समय में भाषा अशुद्ध कैसे हो सकती है ?
चलो भाषा को छोड़ दिया ,कहानी में कनेक्शन तो रखो !
लक्ष्मण ने जाते समय कुटी के चारो तरफ एक रेखा खींची थी यहाँ पहले ही रेखा खींच देते हैं और स्वयं लक्ष्मण भी उसी रेखा के अंदर है , बाद में सीता के कहने के बाद बाहर निकल कर जाते हैं !
सोने की लंका काली कैसे दिख रही ? कहीं भी कोई भी अपने आप कुछ भी ढूंढ ले रहा है ,आधी बातें एक्टिंग हो रही हैं आधी दर्शक कोखुद समझना है |
रावण अपने ज़माने का सबसे वीर पुरुष था ,जो कुबेर से पुष्पक विमान छीन के लाया था ! उसको चमगादड़ पर बैठा कर घुमा रहे हो ?वो चमगादड़ से सीता को लेकर भाग रहा है राघव और शेष पीछे से दौड़ रहे हैं पर पकड़ नहीं पा रहे हैं ?यदि रावण को ले जाते हुए राम जी ने देख लिया होता तो क्या मार्ग न रोकते ?
शबरी की कुटिया में राम गए थे सबको पता है , फिर आपकी कहानी में हाथ में पत्ते के ऊपर बेर लेकर शबरी जंगल
में खुद हाज़िर हो जाती है .बेर खिलाती है और राघव पहले से जो आग जलाये रहते हैं उसी में जलकर अप्सरा बन जाती है ! मललब एकदम बकवास |
इसी तरह बालि और सुग्रीव लड़ रहे हैं इसी बीच बड़ा पहाड़ गिरने लगता है और सुग्रीव पकड़ कर खड़े हो जाते हैं और तब तक खड़े रहते हैं जबकि सारे बंदर भाग नहीं जाते ! इसी बीच राघव बालि का वध भी कर देते हैं और वो बिना कुछ कहे मर जाता है ! मैं बैरी सुग्रीव पियारा ! कारन कवन नाथ मोहि मारा !! गायब
रावण राजा होकर लोहार की तरह लोहा गर्म करके हथौड़ी से पीटकर तलवार बना रहा है !
बजरंग सीता की खोज में जाते है तो बिना किसी अवरोध के सीधे लंका पहुँच जाते हैं
हनुमान जी के समुद्र में प्रवेश करते ही ,1-सुरसा नाम अहिन कै माता !2-आगे जाय लंकिनी रोका !3-जब रावनहि ब्रह्न वर दीना ये बहुत बड़े अवरोध थे ! रावण का एकक्षत्र राज्य था , उसमे ऐसे ही कोई कैसे पहुंच गया ?अशोक वाटिका में सीता जी के सामने खड़े हो जाते हैं और अंगूठी दे देते है ! बिना कोई नुकसान हुए ही वहीँ सीता जी के समक्ष. ही बिना बजरंग के फल तोड़े ही धाकड़ासुर (अक्षय कुमार ) पहुंच जाते है और हनुमान जी उन्हें मार डालते हैं और उसी के पीछे इंद्रजीत आ जाते हैं और रावण की लंका में हनुमान जी को पिंजरे में बांधकर ले जाते हैं !
केवल नल- नील ही नहीं कोई भी बानर पत्थर समुद्र में डाल रहा है और वो तैर रहा है , समुद्र ने भी नहीं बताया की नल-नील में कोई विशेषता है |
ऐसे ही बिना किसी भूमिका के विभीषण जी अपनी पत्नी सहित राम से मिलने पहुंच जाते हैं ! साथ में राम का भेद लेने आये हुए शुक को राम खुद ही पहचान लेते हैं और अंगद उसको बांधकर ले जाता है रावण के सामने पटक कर चला आता है !
दूर की लोगो के बजाये हुए बाजे की आवाज सुनकर कुम्भकर्ण जग जाते हैं !
विभीषण की पत्नी सुषेण वैद्य की जगह डॉ बन जाती है | बिना विभीषण के बताये ही राम को रावण की नाभि का अमृत पता चल जाता है रावण के मरते ही सीता जी खुद ही राम के पास आकर अलिंगनवद्ध हो जाती हैं ! राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे ! उनके ज़माने में इतनी अमर्यादा चलती ही नहीं थी ! तो फिर आदिपुरुष अमर्यादित कैसे हो गए !
सुपुत्र Ratnesh Singh पूछ रहे थे की अक्षय का अर्थ धाकड़ासुर कब से होने लगा. और लक्ष्मण शेष हो गए !
इस मूवी में कुछ भी विशेष है ही नहीं सारी असलियत ही शेष है !!!!!
डॉ सुषमा सेंगर
लेखक व् निर्देशक की क्या सोच थी यही समझ में नहीं आया !
हमें खाना शुद्ध चाहिए , पानी शुद्ध चाहिए , हवा शुद्ध चाहिए , घर शुद्ध चाहिए , डीजल-पेट्रोल शुद्ध चाहिए सभी कुछ शुद्ध चाहिए ! तो फिर भाषा शुद्ध क्यों नहीं चाहिए बे ?
मेरे मुंह से बे सुनकर बुरा लगा ना ! क्योकि मै हमेशा मर्यादित भाषा लिखती हूँ |और जिनका नाम ही मर्यादा पुरुषोत्तम हो ,उनके समय में भाषा अशुद्ध कैसे हो सकती है ?
चलो भाषा को छोड़ दिया ,कहानी में कनेक्शन तो रखो !
लक्ष्मण ने जाते समय कुटी के चारो तरफ एक रेखा खींची थी यहाँ पहले ही रेखा खींच देते हैं और स्वयं लक्ष्मण भी उसी रेखा के अंदर है , बाद में सीता के कहने के बाद बाहर निकल कर जाते हैं !
सोने की लंका काली कैसे दिख रही ? कहीं भी कोई भी अपने आप कुछ भी ढूंढ ले रहा है ,आधी बातें एक्टिंग हो रही हैं आधी दर्शक कोखुद समझना है |
रावण अपने ज़माने का सबसे वीर पुरुष था ,जो कुबेर से पुष्पक विमान छीन के लाया था ! उसको चमगादड़ पर बैठा कर घुमा रहे हो ?वो चमगादड़ से सीता को लेकर भाग रहा है राघव और शेष पीछे से दौड़ रहे हैं पर पकड़ नहीं पा रहे हैं ?यदि रावण को ले जाते हुए राम जी ने देख लिया होता तो क्या मार्ग न रोकते ?
शबरी की कुटिया में राम गए थे सबको पता है , फिर आपकी कहानी में हाथ में पत्ते के ऊपर बेर लेकर शबरी जंगल
में खुद हाज़िर हो जाती है .बेर खिलाती है और राघव पहले से जो आग जलाये रहते हैं उसी में जलकर अप्सरा बन जाती है ! मललब एकदम बकवास |
इसी तरह बालि और सुग्रीव लड़ रहे हैं इसी बीच बड़ा पहाड़ गिरने लगता है और सुग्रीव पकड़ कर खड़े हो जाते हैं और तब तक खड़े रहते हैं जबकि सारे बंदर भाग नहीं जाते ! इसी बीच राघव बालि का वध भी कर देते हैं और वो बिना कुछ कहे मर जाता है ! मैं बैरी सुग्रीव पियारा ! कारन कवन नाथ मोहि मारा !! गायब
रावण राजा होकर लोहार की तरह लोहा गर्म करके हथौड़ी से पीटकर तलवार बना रहा है !
बजरंग सीता की खोज में जाते है तो बिना किसी अवरोध के सीधे लंका पहुँच जाते हैं
हनुमान जी के समुद्र में प्रवेश करते ही ,1-सुरसा नाम अहिन कै माता !2-आगे जाय लंकिनी रोका !3-जब रावनहि ब्रह्न वर दीना ये बहुत बड़े अवरोध थे ! रावण का एकक्षत्र राज्य था , उसमे ऐसे ही कोई कैसे पहुंच गया ?अशोक वाटिका में सीता जी के सामने खड़े हो जाते हैं और अंगूठी दे देते है ! बिना कोई नुकसान हुए ही वहीँ सीता जी के समक्ष. ही बिना बजरंग के फल तोड़े ही धाकड़ासुर (अक्षय कुमार ) पहुंच जाते है और हनुमान जी उन्हें मार डालते हैं और उसी के पीछे इंद्रजीत आ जाते हैं और रावण की लंका में हनुमान जी को पिंजरे में बांधकर ले जाते हैं !
केवल नल- नील ही नहीं कोई भी बानर पत्थर समुद्र में डाल रहा है और वो तैर रहा है , समुद्र ने भी नहीं बताया की नल-नील में कोई विशेषता है |
ऐसे ही बिना किसी भूमिका के विभीषण जी अपनी पत्नी सहित राम से मिलने पहुंच जाते हैं ! साथ में राम का भेद लेने आये हुए शुक को राम खुद ही पहचान लेते हैं और अंगद उसको बांधकर ले जाता है रावण के सामने पटक कर चला आता है !
दूर की लोगो के बजाये हुए बाजे की आवाज सुनकर कुम्भकर्ण जग जाते हैं !
विभीषण की पत्नी सुषेण वैद्य की जगह डॉ बन जाती है | बिना विभीषण के बताये ही राम को रावण की नाभि का अमृत पता चल जाता है रावण के मरते ही सीता जी खुद ही राम के पास आकर अलिंगनवद्ध हो जाती हैं ! राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे ! उनके ज़माने में इतनी अमर्यादा चलती ही नहीं थी ! तो फिर आदिपुरुष अमर्यादित कैसे हो गए !
सुपुत्र Ratnesh Singh पूछ रहे थे की अक्षय का अर्थ धाकड़ासुर कब से होने लगा. और लक्ष्मण शेष हो गए !
इस मूवी में कुछ भी विशेष है ही नहीं सारी असलियत ही शेष है !!!!!
डॉ सुषमा सेंगर
लेखक व् निर्देशक की क्या सोच थी यही समझ में नहीं आया !
हमें खाना शुद्ध चाहिए , पानी शुद्ध चाहिए , हवा शुद्ध चाहिए , घर शुद्ध चाहिए , डीजल-पेट्रोल शुद्ध चाहिए सभी कुछ शुद्ध चाहिए ! तो फिर भाषा शुद्ध क्यों नहीं चाहिए बे ?
मेरे मुंह से बे सुनकर बुरा लगा ना ! क्योकि मै हमेशा मर्यादित भाषा लिखती हूँ |और जिनका नाम ही मर्यादा पुरुषोत्तम हो ,उनके समय में भाषा अशुद्ध कैसे हो सकती है ?
चलो भाषा को छोड़ दिया ,कहानी में कनेक्शन तो रखो !
लक्ष्मण ने जाते समय कुटी के चारो तरफ एक रेखा खींची थी यहाँ पहले ही रेखा खींच देते हैं और स्वयं लक्ष्मण भी उसी रेखा के अंदर है , बाद में सीता के कहने के बाद बाहर निकल कर जाते हैं !
सोने की लंका काली कैसे दिख रही ? कहीं भी कोई भी अपने आप कुछ भी ढूंढ ले रहा है ,आधी बातें एक्टिंग हो रही हैं आधी दर्शक कोखुद समझना है |
रावण अपने ज़माने का सबसे वीर पुरुष था ,जो कुबेर से पुष्पक विमान छीन के लाया था ! उसको चमगादड़ पर बैठा कर घुमा रहे हो ?वो चमगादड़ से सीता को लेकर भाग रहा है राघव और शेष पीछे से दौड़ रहे हैं पर पकड़ नहीं पा रहे हैं ?यदि रावण को ले जाते हुए राम जी ने देख लिया होता तो क्या मार्ग न रोकते ?
शबरी की कुटिया में राम गए थे सबको पता है , फिर आपकी कहानी में हाथ में पत्ते के ऊपर बेर लेकर शबरी जंगल
में खुद हाज़िर हो जाती है .बेर खिलाती है और राघव पहले से जो आग जलाये रहते हैं उसी में जलकर अप्सरा बन जाती है ! मललब एकदम बकवास |
इसी तरह बालि और सुग्रीव लड़ रहे हैं इसी बीच बड़ा पहाड़ गिरने लगता है और सुग्रीव पकड़ कर खड़े हो जाते हैं और तब तक खड़े रहते हैं जबकि सारे बंदर भाग नहीं जाते ! इसी बीच राघव बालि का वध भी कर देते हैं और वो बिना कुछ कहे मर जाता है ! मैं बैरी सुग्रीव पियारा ! कारन कवन नाथ मोहि मारा !! गायब
रावण राजा होकर लोहार की तरह लोहा गर्म करके हथौड़ी से पीटकर तलवार बना रहा है !
बजरंग सीता की खोज में जाते है तो बिना किसी अवरोध के सीधे लंका पहुँच जाते हैं
हनुमान जी के समुद्र में प्रवेश करते ही ,1-सुरसा नाम अहिन कै माता !2-आगे जाय लंकिनी रोका !3-जब रावनहि ब्रह्न वर दीना ये बहुत बड़े अवरोध थे ! रावण का एकक्षत्र राज्य था , उसमे ऐसे ही कोई कैसे पहुंच गया ?अशोक वाटिका में सीता जी के सामने खड़े हो जाते हैं और अंगूठी दे देते है ! बिना कोई नुकसान हुए ही वहीँ सीता जी के समक्ष. ही बिना बजरंग के फल तोड़े ही धाकड़ासुर (अक्षय कुमार ) पहुंच जाते है और हनुमान जी उन्हें मार डालते हैं और उसी के पीछे इंद्रजीत आ जाते हैं और रावण की लंका में हनुमान जी को पिंजरे में बांधकर ले जाते हैं !
केवल नल- नील ही नहीं कोई भी बानर पत्थर समुद्र में डाल रहा है और वो तैर रहा है , समुद्र ने भी नहीं बताया की नल-नील में कोई विशेषता है |
ऐसे ही बिना किसी भूमिका के विभीषण जी अपनी पत्नी सहित राम से मिलने पहुंच जाते हैं ! साथ में राम का भेद लेने आये हुए शुक को राम खुद ही पहचान लेते हैं और अंगद उसको बांधकर ले जाता है रावण के सामने पटक कर चला आता है !
दूर की लोगो के बजाये हुए बाजे की आवाज सुनकर कुम्भकर्ण जग जाते हैं !
विभीषण की पत्नी सुषेण वैद्य की जगह डॉ बन जाती है | बिना विभीषण के बताये ही राम को रावण की नाभि का अमृत पता चल जाता है रावण के मरते ही सीता जी खुद ही राम के पास आकर अलिंगनवद्ध हो जाती हैं ! राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे ! उनके ज़माने में इतनी अमर्यादा चलती ही नहीं थी ! तो फिर आदिपुरुष अमर्यादित कैसे हो गए !
सुपुत्र Ratnesh Singh पूछ रहे थे की अक्षय का अर्थ धाकड़ासुर कब से होने लगा. और लक्ष्मण शेष हो गए !
इस मूवी में कुछ भी विशेष है ही नहीं सारी असलियत ही शेष है !!!!!
Twitter