डेंगू चिकनगुनिया एवं विचित्र बुखार का होम्योपैथी में है समुचित उपचार
      10 July 2023

मुजम्मिल
तेज बुखार बदन दर्द एवं उल्टी के साथ हाथ पैर ठंडे हो तो समझो हो गया डेंगू

डेंगू के दौरान प्लेटलेट्स घटने पर व बेहोशी पर अपनाएं होम्योपैथिक दवाएं

लीवर गुर्दे दिल व दिमाग पर होने वाले दुष्प्रभावों को दूर करती है होम्योपैथी

होम्योपैथी दवाओं के प्रयोग से बढ़ती है प्रतिरोधक क्षमता

बिना किसी जांच के होम्योपैथिक दवाएं अपनाएं वायरल बीमारियां (डेंगू, चिकुनगुनिया, विचित्र बुखार) दूर भगाएं

बरसात के मौसम में आजकल भीषण गर्मी एवं जलभराव के कारण डेंगू चिकनगुनिया मलेरिया एवं विचित्र बुखार ने पूरे देश को जकड़ रखा है। डेंगू एवं चिकनगुनिया एडीज मच्छर के काटने से जबकि मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है। इन बीमारियों के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए आरोग्यधाम के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ हेमंत मोहन एवं डॉ आरती मोहन ने शहर के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सकों की उपस्थिति में एक चिकित्सा शिविर का आयोजन किया। डेंगू के मरीज को अचानक तेज बुखार, सिर दर्द, गले में खराश, पूरे शरीर की हड्डियों में दर्द, हाथ पैर ठंडे रहना, शरीर में लाल चकत्ते पड़ने के साथ शरीर के किसी भी क्षेत्र से रक्त स्राव होने लगता है। साधारणतया डेंगू की अवस्थाएं साधारण डेंगू 80% जबकि 20% में डेंगू हेमोरेजिक फीवर एवं डेंगू हेमोरेजिक फीवर शाक सिंड्रोम ( बेहोशी ) रहता है डॉक्टर आरती मोहन ने बताया कि डेंगू में आंखों में दर्द, फोटोफोबिया कमजोरी, भूख न लगना मुंह का स्वाद बदलना आदि लक्षण भी होते हैं। इस अवसर पर कानपुर शहर के जाने-माने चिकित्सक डॉ हेमंत मोहन ने बताया कि डेंगू का एलोपैथिक में कोई विशिष्ट उपचार नहीं है पर होम्योपैथी दवाओं से लक्षणों के आधार पर इसे काफी हद तक रोका जा सकता है। इस अवसर पर वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉक्टर आरती मोहन* ने डेंगू फीवर के दौरान जब प्लेटलेट 40000 से नीचे घट जाए।(थ्रांबोसाइटोपेनिया) उस समय होम्योपैथिक दवाओं के उपयोग से प्लेटलेट काउंट सफलतापूर्वक बढ़ाकर डेंगू का सफल उपचार संभव है। वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ हेमंत मोहन अली अब्बास ने बताया वायरस जनित बीमारियों का इलाज होम्योपैथिक विधि द्वारा संभव है। चिकुनगुनिया के कारण बुखार के पश्चात काफी दिनों तक जोड़ों में दर्द बना रहने पर

*क्या करें-*

किसी भी जगह पानी को रुकने ना दें, गड्ढों को मिट्टी से भरे लारवा मारने के लिए जलाशय में लारवीवोरस मछलियां (गैम्बोजिया) एवं शैवालों का प्रयोग करें, पूरा शरीर कपड़ों से ढक कर रखें, 103 104 डिग्री फॉरेनहाइट बुखार हो जाने पर ठंडे पानी से पट्टी करें।
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