प्रकृति का संरक्षण हमारा स्वभाव बने
      13 July 2023

राजीव मिश्रा
रामलखन भट्ट इंटरनेशनल स्कूल भाऊ पनकी, कानपुर में भारत उत्थान न्यास द्वारा आयोजित पर्यावरण संरक्षण कार्यशाला में मुख्य वक्ता एवं भारत उत्थान न्यास के केन्द्रीय अध्यक्ष श्री सुजीत कुंतल ने अपने वक्तव्य की शुरुआत पर्यावरण चेतना के लिए ब्रह्माण्ड व‌ प्रकृति के साथ सुस्वरात्मकता का संदेश देनेवाली प्रार्थना ऊँ शान्तिरन्तरिक्ष: शान्ति: पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:। वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति: सर्व; शान्ति: शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि ।। ऊँ शांन्ति: शांन्ति: शांन्ति: ।। से की।

श्री कुंतल ने उपस्थित शिक्षक एवं छात्र छात्राओं को जागरूक करते हुए कहा कि पर्यावरण की समस्या का स्थायी समाधान तो भारतीय दृष्टि अपनाने में ही है। भारतीय दृष्टि प्रेम के दायरे के विस्तार की दृष्टि है। हमारा नियंत्रण बाहर से नहीं, आंतरिक नैतिक आग्रह पर है। प्रकृति का संरक्षण हमारा स्वभाव बने और हम इसके साथ तादात्म्य स्थापित करना सीखें। पेड़ - पौधों, जीव-जंतुओं के प्रति 'आत्मवत् सर्वभूतेषु' के भाव का विस्तार आवश्यक है। अब हमें एक ऐसे समग्र समन्वित मंगल विकास- पथ की रचना करनी होगी जिसमें एक वर्ग दूसरे वर्ग का शोषण न कर सके और एक ऐसी सामाजिक-आर्थिक- तकनीकी संरचना बनानी होगी जो प्रकृति को विकृत न कर उसके साथ तालमेल बिठाकर चल सके। विशिष्ट वक्ता डॉ शशि अग्रवाल ने कहा कि पर्यावरण हम सबका पालनहार है फिर भी मनुष्य धरती के स्रोतों का अंधाधुंध दोहन कर रहा है जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है और हिमस्खलन, बाढ़, प्रलयकारी लहरें आदि दुष्प्रभाव हमारे जीवन में हो रहे हैं। हमें आवश्यकता है कि प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग हो इसके लिए इन संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने सिंगल यूज प्लास्टिक को पशुओं और मानव जीवन के लिए ख़तरनाक बताते हुए सभी प्रतिभागियों को सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने का संकल्प दिलाया।
कालेज की डायरेक्टर श्रीमती शालिनी भट्ट ने न्यास के कार्यों की सराहना करते हुए आगे भी सहयोग करने का आश्वासन दिया। यहां प्रिंसिपल श्री गोविन्द मिश्रा, शैलेन्द्र श्रीवास्तव, श्रीमती शशि सिंह श्री राजू शर्मा, श्री अजीत पाल, श्रीमती शक्ति सिंह सेंगर, श्रीमती नीलम उपस्थित रहे। कार्यशाला के बाद शिक्षक और छात्रों के साथ स्कूल में 151 औषधीय पौधों का लगातार उन्हें संरक्षित करने का संकल्प लिया गया।
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