शिक्षा दिवस पर विशेष
      05 September 2023

आशीष भारती लेखक/कवि/समीक्षक
________*"शिक्षक दिवस पर विशेष"*_______

शिक्षा के प्रति समर्पित प्रो० डॉ. सुषमा गोडियाल
समाजसेवा व साहित्य के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका।

पिछले दो दशकों से समाज में शैक्षिक क्रांति की मशाल जला रही बरेली कॉलेज बरेली (उ.प्र.) में पूर्व में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुकी हिंदी की प्रोफेसर डॉ. सुषमा गोडियाल समय के साथ समाज में परिवर्तन की चाह से निःस्वार्थ भाव से कार्य कर रही हैं। अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित, संगीत में उच्च शिक्षा प्राप्त कर विभिन्न संगठनों के साथ जुड़कर अपने दायित्व को जनपद, प्रदेश व देश तक स्थापित कर रही प्रोफेसर डॉ. सुषमा गोडियाल के योग्य एवं कुशल व्यक्तित्व का शिक्षक दिवस पर अभिनंदन....

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ज्ञान के प्रतीक भारत रत्न बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेडकर एवं महिलाओं में शिक्षा क्रांति की जनक माता सावित्री बाई फुले के क्रान्तिकारी विचारों को अपने जीवन में आत्मसात एवं अनुसरण कर समाज के धरातल पर स्वयं माध्यम बनकर वाल्मीकि समाज का नाम रोशन कर रही मिलनसार, मृदुभाषिणी, सामान्य व्यक्तित्व की स्वामी, सहज व सरल सम्बोधन से अपनी पहचान स्थापित कर चुकी शिक्षा के क्षेत्र में जनपद बरेली का नाम रोशन कर रही प्रोफेसर डा सुषमा गोडियाल का जन्म 16 अप्रैल 1969 को उत्तराखंड की पर्वत नगरी रानीखेत में संघर्षशील दम्पति माता श्रीमती सीता गोडियाल व पिता स्व.श्री राम प्रकाश के घर दूसरी संतान के रूप में हुआ। दो भाई व तीन बहनों में डा सुषमा गोडियाल को सभ्यता, संस्कार बचपन से ही अपने माता-पिता के आशीर्वाद स्वरूप व पारिवारिक पृष्ठभूमि से मिले थे। बचपन से ही कुशाग्र शिक्षा, साहित्य, संगीत व संस्कृति के प्रति समर्पित रही डा सुषमा गोडियाल ने कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल उत्तराखंड से एम.ए. (हिंदी) व वर्ष 2001 में हिंदी में साहित्यकार डा रामकुमार वर्मा की काव्य रचनाओं का अनुशीलन विषय पर अपना पीएचडी शोध कार्य पूरा किया। विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करते हुए उत्तराखंड राज्य में वाल्मीकि समाज की पहली महिला पीएचडी धारक बन गयी।
वर्ष 2000 में बरेली उत्तर प्रदेश निवासी सामाजिक योद्धा एडवोकेट आकाश पुष्कर के साथ अपने सपनों की इच्छा पूर्ति के लिए विवाह बंधन में बंधी डा सुषमा गोडियाल को पति भी सोच, समझ व सहयोग भावना के हुबहू मिला। उन्होंने अपनी सहधर्मिणी को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया तदुपरांत डा सुषमा गोडियाल ने संगीत में प्रभाकर व विशारद की उच्च शिक्षा प्राप्त कर नौकरी के लिए अपना अध्ययन जारी रखा। इनके पति आकाश पुष्कर एम.ए. (राजनीति शास्त्र), एलएलबी के साथ ही राजनीति शास्त्र में पीएचडी शोध कार्य कर रहे हैं। इनकी दो बेटी हैं, बड़ी बेटी वकालत व छोटी बेटी स्नातक की पढ़ाई कर रही हैं। मेहनत व योग्यता के बलबूते वर्ष 2004 में खुर्जा (बुलंदशहर) में डिग्री कॉलेज में प्रथम नियुक्ति हिंदी प्रवक्ता के पद से अपने जीवन की शुरुआत करते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर से वर्ष 2012 में बरेली कोलेज बरेली में स्थानांतरित होकर पदोन्नति होते हुए एसोसिएट प्रोफेसर उसके बाद प्रोफेसर के पद पर रहकर सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए चीफ प्रॉक्टर व महिला छात्रावास की वार्डन, प्रवेश समन्वयक, सांस्कृतिक कार्यक्रम समन्वयक आदि महत्वपूर्ण पदों पर रहकर डा सुषमा गोडियाल ने अपने व्यवहार व कुशल व्यक्तित्व से अपनी अलग ही प्रतिष्ठा स्थापित की है।
विभिन्न शैक्षणिक, सामाजिक, राजनैतिक, साहित्यिक कार्यक्रमों, सेमिनार-वेबिनार में मुख्य अतिथि, मुख्य वक्ता, कैरियर काउंसलर जैसी जिम्मेदारी निभाते हुए
महाविद्यालय स्तर पर क्रीड़ा अधिकारी, राष्ट्रीय सेवा योजना अधिकारी, एनसीसी में वक्ता के साथ-साथ सांस्कृतिक आयोजनों में मुख्य भूमिका निभाते हुए जनपद बरेली की विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं में सदस्य, परीक्षक, सम्पादक, संयोजक व महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली में शोध निर्देशक के साथ सामाजिक संगठनों में महत्वपूर्ण पदों पर रहकर अपनी जिम्मेदारी का बाखूबी निर्वाह कर अमीट छाप छोड़ चुकी डा सुषमा गोडियाल का आलेख संग्रह छायावादी रचना प्रक्रिया ओर एकलव्य पुस्तक प्रकाशित हो चुका है साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में शोध एवं प्रकाशन कार्य समाज के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर इनका निरंतर कार्य जारी है। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय, महाविद्यालय व विभिन्न सामाजिक, शैक्षणिक, साहित्यिक व राजनैतिक संगठनों द्वारा पं. दीनदयाल उपाध्याय जनशताब्दी प्रतिभा सम्मान, बरेली पांचाल सम्मान, ब्रज वंदन सम्मान, काव्य संध्या सम्मान, हिंदी साहित्य सेवा सम्मान सहित अनेकों पुरस्कारों से सुशोभित डा सुषमा गोडियाल के शोध आलेख विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं व महाविद्यालय की पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। वर्तमान में किन्नर विमर्श पर व भारतीय समाज में दलित महिलाओं की स्थिति पर शोध कार्य कर रही डा सुषमा गोडियाल का एक शोध आलेख हावर्ड बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड लंदन में दर्ज पुस्तक स्वराज के स्वर (आजादी के 75 स्वतंत्रता सेनानी) में चयनित होकर इन्हें हावर्ड बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड लंदन ने प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया है। आकाशवाणी केंद्र बरेली पर गीत व साहित्य वार्ता के लिए प्रसिद्धि प्राप्त कर सांस्कृतिक विरासत को अपने ह्रदय में संजोए , शिक्षा साहित्य व सामाज सेवा को समर्पित डा सुषमा गोडियाल भविष्य में समाज के लिए कुछ अलग व नये कार्य योजना के लिए संकल्पबद्ध हैं।
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