लखनऊ विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन संस्थान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय इंटर-कॉलेजिएट उत्सव
      09 February 2024

आकांक्षा अवस्थी
लखनऊ विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन संस्थान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय इंटर-कॉलेजिएट उत्सव "आद्याश्री" 3 फरवरी, 2024 को शुरू हुआ। महिला अध्ययन संस्थान की संयोजक और निदेशक डॉ. मानिनी श्रीवास्तव ने कार्यक्रम के बारे में और संस्थान द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों एवं विरासत के बारे में छात्रों, शिक्षकों और मेहमानों को संबोधित करके कार्यक्रम की शुरुआत की।

बाद में कला संकायाध्यक्ष एवं प्रतिकुलपति प्रो.अरविंद अवस्थी, सांस्कृतिकी की निदेशक प्रो.मधुरिमा लाल एवं गृह विज्ञान विभाग की प्रो.मीरा सिंह की पावन उपस्थिति में दीप प्रज्वलन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत प्रति कुलपति प्रो अरविंद अवस्थी के संबोधन के साथ हुई, जिसमें छात्रों को रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया जो छात्रों के समग्र विकास में योगदान देता है।

इस कार्यक्रम में पूरे लखनऊ के कॉलेजों के साथ-साथ कैंपस के छात्रों ने भी भाग लिया। महिला अध्ययन संस्थान के शैक्षिक और रचनात्मक कार्यक्रम के दौरान कई प्रतियोगिताएँ हुईं। पहले दिन पोस्टर मेकिंग, स्लोगन राइटिंग और रंगोली मेकिंग प्रतियोगिता कार्यक्रम का केंद्र बिंदु रही। छात्रों ने 'शेड्स ऑफ वुमनहुड' विषय पर जीवंत और मनोरम लेकिन जानकारीपूर्ण पोस्टर बनाए, जिन्होंने समाज मे पुरुषों की भूमिका के साथ-साथ नारीत्व और समाज से संबंधित जीवन और मुद्दों के प्रति एक नया दृष्टिकोण प्रदान करके हमारी समझ का विस्तार करने में योगदान दिया। 'समाजिक संदेश" बनाने की प्रतियोगिता में समकालीन भारतीय महिलाएं, कला और साहित्य में महिलाएं, महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण आदि जैसे विषय शामिल थे, लखनऊ के विभिन्न कॉलेजों के प्रतिभागियों ने हमारी समझ को बढ़ाने के साथ-साथ अपनी बौद्धिक और रचनात्मक क्षमताओं का प्रदर्शन करके बहुत उत्साह दिखाया। दिन का आखिरी कार्यक्रम रंगोली बनाना था, जहां छात्रों ने रंगोली को जानकारीपूर्ण और मनमोहक बनाकर पारंपरिक प्रारूप से खुद को अलग दिखाने का प्रयास किया। आयोजन का पूरा प्रयास समकालीन समाज में लैंगिक संवेदनशीलता के संबंध में जागरूकता फैलाना था। हमारे सम्मानित अतिथियों, शिक्षकों और प्रिय छात्रों के लिए पितृसत्ता के दुष्प्रभावों पर एक लघु नाटक का भी मंचन किया गया। नाटक में बताया गया कि पितृसत्तात्मक समाज में पुरुष और महिलाएं दोनों कैसे पीड़ित होते हैं, छात्रों ने इसे हास्यप्रद लेकिन इतना दिलचस्प रखा कि यह तीसरे महत्वपूर्ण घटक के रूप में समाज को जागृत कर सके। दिन का समापन महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में समाज की बढ़ी हुई समझ के साथ हुआ।
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