पं. दीनदयाल उपाध्याय के चिंतन के अध्ययन से मिलेगा समाज कार्य व्यवसाय को पोषण
      09 February 2024

आकांक्षा अवस्थी
पं. दीनदयाल उपाध्याय के चिंतन के अध्ययन से मिलेगासमाज कार्य व्यवसाय को पोषण “समाज कार्य विषय और पंडित दीनदयाल के चिंतन का लक्ष्य समरूप है, दोनों के केंद्र में मानव मात्र है, दोनों का दर्शन मानव कल्याण को प्रेरित करता है| जिस प्रकार समाज कार्य व्यक्ति के कल्याण की सार्वभौमिकता को स्वीकारता है उसी प्रकार उपाध्याय जी के चिंतन में भी व्यक्ति का कल्याण निहित है|” उक्त विचार आज लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग में पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के अंतर्गत “पं. दीनदयाल उपाध्याय के विचार एवं समाज कार्य व्यवसाय” शीर्षक से आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में मुंबई स्थित टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज के डीन रिसर्च प्रोफ़ेसर बिपिन जोजो ने मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किये|

उन्होंने कहा कि उपाध्याय जी का दर्शन सर्वकालिक है और ऐसे ही महानुभावों के विचारों से समाज कार्य विषय को पोषण मिलता है| उदघाटन सत्र की सह अध्यक्षता करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रोफ़ेसर अरविन्द अवस्थी ने बताया कि वर्तमान सरकार उपाध्याय जी के स्वदेशी के मार्ग पर चल रही है और यदि ऐसे ही रहा है तो भारत विश्व की तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बन जायेगा, जबकि अभी हम पांचवे पायदान पर हैं| साथ ही स्वदेशी के आधार पर ही केंद्र सरकार ने मेक इन इंडिया के विचार को विकसित किया है जिससे भारत में रोज़गार के अवसरों में वृद्धि हुई है|कार्यशाला के गोल मेज सत्र की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली स्कूल ऑफ़ सोशल वर्क की प्रोफ़ेसर पामेला सिंगला ने पंडित जी के जीवन पर प्रकाश डाला और बताया कि किस प्रकार समाज कार्य उनके विचारों से लाभान्वित हो सकता है| उन्होंने यह भी कहा कि हमें समाज कार्य के पाठ्यक्रम में दीनदयाल जी के विचारों को सम्मिलित करना होगा जिससे विद्यार्थियों को अपना उद्देश्य हासिल करने में समस्यायों का सामना न करना पड़े| इसी सत्र की सह-अध्यक्षा काशी विद्यापीठ से पधारीं प्रो. भावना वर्मा ने कहा कि पंडित जी ने तत्कालिक रूप से अगले 50वर्षों का कार्यक्रम प्रस्तुत किया था जो अब साकार हो रहा है| उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि उनके विचारों को आत्मसात कर समाज कार्य अपने उद्देश्यों की प्राप्ति सरलता से कर सकता है| इसी क्रम में विभाग के वरिष्ठ प्रोफ़ेसर डॉ. राज कुमार सिंह ने समाज कार्य और उपाध्याय जी के चिंतन में सह-सम्बन्ध स्थापित करते हुए अपना वक्तव्य दिया| कार्यशाला में विशेषज्ञ के रूप में डॉ. ए.एन. सिंह, डॉ. अर्चना सिंह , डॉ. रुपेश कुमार सिंह, डॉ. सहादत हुसैन आदि की उपस्थिति रही|कार्यशाला में शोध पीठ के निदेशक और विभागाध्यक्ष प्रो. अनूप कुमार भारतीय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कार्यशाला की प्रासंगिकता एवं उद्देश्यों को बताया| कार्यशाला में प्रो. डी.के. सिंह, विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो. राकेश द्विवेदी, डॉ. अन्विता वर्मा, डॉ. रमेश त्रिपाठी, डॉ. रजनीश यादव, डॉ. गरिमा सिंह, डॉ. शिखा सिंह, डॉ. मधुशिखा श्रीवास्तव, डॉ. शिवांगी प्रकाश, डॉ. रणविजय सिंह, डॉ. वीरेंद्र त्यागी, शोध पीठ के रिसर्च एसोसिएट डॉ. रोहित मिश्र एवं विभाग के समस्त कर्मचारी और छात्र छात्राएं उपस्थित रहे| कार्यशाला के अंत में डॉ. ओमेन्द्र कुमार यादव द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित कर अतिथियों के प्रति साधुवाद प्रकट किया गया|
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