महिला महाविद्यालय में इतिहास विभाग द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
      21 April 2024

मुजम्मिल अहमद
दिनांक 19. 4.2024 को महिला महाविद्यालय के सभागार में इतिहास विभाग द्वारा द्विदीवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी (19 एवं 20 अप्रैल 2024) का आयोजन किया गया जिसका विषय "महाकाव्य कालीन भारत :इतिहास ,राजनीति ,कला एवं संस्कृति" है कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्य व समस्त अतिथि गणों के कर कमल द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन द्वारा किया गया ।अतिथियों का स्वागत करते हुए दयानंद शिक्षण संस्थान की संरक्षिका श्रीमती कुमकुम स्वरूप ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे महाकाव्य में महिला एवं पुरुष के समान स्थान की बात की गई है परंतु आज स्त्रियां हाशिए पर है ।अतः आज हमें पुनः महाकाव्य कालीन विचारों को आत्मसात करके समाज को पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है।

प्राचार्य प्रोफेसर अंजू चौधरी ने महाविद्यालय की शैक्षणिक उपलब्धियां पर प्रकाश डालते हुए प्रगति आख्या प्रस्तुत की ।संगोष्ठी की सयोजिका प्रोफेसर ममता गंगवार ने विषय परिवर्तन करते हुए महाकाव्य के इतिहास विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया साथ ही महाकाव्य कालीन संस्कृति ,आर्थिक सामाजिक दशा तथा धार्मिक स्थिति पर भी प्रकाश डाला मुख्य अतिथि छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने संगोष्ठी के विषय को वर्तमान समय में प्रासंगिक बताते हुए कहा कि महाकाव्य कालीन संस्कृति के आदर्शों को हमें अपनाने की माहिती आवश्यकता है ।
तत्पश्चात संगोष्ठी प्रोसिडिंग (पुस्तक के रूप में) के साथ-साथ प्रोफेसर ममता गंगवार , डॉ.मीरा त्रिपाठी, डॉक्टर अनामिका वर्मा ,प्रोफेसर पुष्पा यादव, डॉ रश्मि सिंह, द्वारा लिखित पुस्तकों का विमोचन किया गया ।
अतिथि व्याख्यान देते हुए श्री संजय मिश्रा (राष्ट्रीय सह संयोजक सचिव, इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली) ने कहा कि हमारे महाकाव्य हमें एक संतुष्ट जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं ।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर बी .के .श्रीवास्तव (विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग ,डॉक्टर हरि सिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर ,मध्य प्रदेश) ने अपने वक्तव्य में कहा कि वर्तमान समय में समाज में राजनीति सत्ता लोलुप हो गई है रामायण जैसे महाकाव्य में इतिहास राजनीति और यथार्थवाद का उत्कृष्ट उदाहरण है जिसमें निर्मल राजनीति के स्पष्ट दर्शन होते हैं ।आज समाज को अपने महाकाव्य से सीख लेने की आवश्यकता है
विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर अनिल कुमार मिश्रा (संयोजक बोर्ड ऑफ स्टडीज सी.एस.जे.एम .विश्वविद्यालय कानपुर) ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमारे महाकाव्य में गीता अत्यंत सरल और सरस श्लोक के माध्यम से हमें तनाव रहित जीवन जीने की कला सिखाती है ।
विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर राजेश कुमार नायक (विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग ,जे.पी.एन .विश्वविद्यालय छपरा बिहार) ने कहा कि मानव द्वारा अनुभव किए गए दो महानतम महाकाव्य रामायण और महाभारत है जिसमें भागवत गीता भी शामिल है यह हमें सामाजिक ,पारिवारिक, नैतिक ,प्रशासनिक और आध्यात्मिक पहलुओं पर अपना मूल्यवान संदेश देते हैं ।
विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर अश्विनी कुमार दुबे (अध्यक्ष राजनीति एवं लोक प्रशासन विभाग, डॉक्टर एस मिश्रा (पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ) ने अपने वक्तव्य में कहा कि रामायण जैसे महाकाव्य जीवन के उत्तम आदर्श को प्रस्तुत करते हैं आज आवश्यकता है अपने जीवन में इस महाकाव्य के आदर्शों को अपनाकर चारित्रिक उन्नयन किया जाए
अध्यक्ष भाषण प्रोफेसर कुमार रत्नम (अपर निदेशक, उच्च शिक्षा विभाग ग्वालियर) द्वारा दिया गया उन्होंने कहा कि वर्तमान में बढ़ रहे पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए हमें अपने महाकाव्य से सीख लेनी चाहिए क्योंकि महाकाव्य में पर्यावरण को भी विशेष महत्व दिया गया है रामायण में राम राज्य के आदर्शों के साथ-साथ प्रकृति और पर्यावरण के समस्त तत्वों का समावेश है
प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्ष डॉक्टर नेहा कपूर (एसोसिएट प्रोफेसर रसायन विज्ञान विभाग हिंदू कॉलेज नई दिल्ली) तथा विशिष्ट वक्ता डॉ रत्नाथू मिश्रा (असिस्टेंट प्रोफेसर शिक्षा शास्त्र विभाग सीएसजेएम विश्वविद्यालय कानपुर) रही ।
द्वितीय तकनीकी सत्र में अध्यक्ष प्रोफेसर पुष्पा यादव (भूतपूर्व विभाग अध्यक्ष संस्कृत विभाग महिला महाविद्यालय कानपुर )तथा विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर प्रीति बागवानी (संस्कृत विभाग तिलक महाविद्यालय औरैया )रही दोनों तकनीकी सत्र में लगभग 60 शोध पत्र विभिन्न शोधार्थियों द्वारा पढ़े गए मंच संचालन प्रोफेसर नीता मिश्रा व धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर अनामिका वर्मा द्वारा किया गया l
कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रोफेसर कल्पना श्रीवास्तव ,प्रोफेसर प्रतिभा श्रीवास्तव ,प्रोफेसर संगीता शितानी ,प्रोफेसर नीता मिश्रा ,प्रोफेसर वंदना शर्मा ,प्रोफेसर मनीष शुक्ला ,प्रोफेसर रश्मि चतुर्वेदी,प्रोफेसर प्रज्ञा श्रीवास्तव ,डॉ प्रीति द्विवेदी ,डॉक्टर रश्मि सिंह, डॉक्टर सभा यूनुस ,सहित समस्त महाविद्यालय परिवार का सहयोग रहा।
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